भूजल में बढ़ रहे खतरनाक प्रदूषण पर चिंता जताई

Submitted by Hindi on Tue, 02/19/2013 - 10:17
Source
जनसत्ता, 19 फरवरी 2013

एक तरफ दिल्ली का भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली की लाइफ लाइन कही जाने वाली यमुना नदी का पानी भी पीने के लिए मुफीद नहीं रह गया है। लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भी यमुना का पानी पहले से अधिक जहरीला हो गया है। दिक्कत यह है कि दिल्ली की 75 फीसदी जनता जल बोर्ड के पानी पर ही निर्भर है। जल बोर्ड की ओर से आपूर्तित पानी भी जांच में दूषित पाया गया है।

मुंडका विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक मनोज शौकीन ने दिल्ली के भूजल में बढ़ रहे खतरनाक प्रदूषण और गंदा नाला बन चुकी यमुना नदी पर घोर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार से मांग की है कि वे दिल्ली के भूजल और यमुना नदी का प्रदूषण समाप्त करने के लिए संयुक्त रूप से समयबद्ध योजना बनाकर यह काम जल विशेषज्ञों को सौंपे ताकि दिल्ली में बह रही यमुना का पुनरुद्धार हो और यहां का भूजल भी पीने लायक बने।

शौकीन ने बताया कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसके तहत दक्षिणी दिल्ली, दक्षिण पश्चिम दिल्ली व मध्य उत्तर दिल्ली में भूजल के नमूनों में फ्लोराइड और नाइट्रेट की मात्रा निर्धारित मानकों से बहुत अधिक पाई गई है। इसलिए इन क्षेत्रों के नागरिकों को बोरवेल का पानी पीने पर पाचन संबंधी रोगों और अस्थि विकारों का खतरा पैदा हो जाएगा। संस्थान ने यह भी पाया है कि नजफगढ़ नाले के पास के भूजल में खतरनाक मात्रा में शीशा पाया गया है और पूर्वी दिल्ली का पानी भी पीने लायक नहीं है।

एक तरफ दिल्ली का भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली की लाइफ लाइन कही जाने वाली यमुना नदी का पानी भी पीने के लिए मुफीद नहीं रह गया है। लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भी यमुना का पानी पहले से अधिक जहरीला हो गया है। दिक्कत यह है कि दिल्ली की 75 फीसदी जनता जल बोर्ड के पानी पर ही निर्भर है। जल बोर्ड की ओर से आपूर्तित पानी भी जांच में दूषित पाया गया है। ऐसे में दिल्ली के नागरिक किस पर भरोसा करके शुद्ध पानी पीएं।

भाजपा विधायक ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए अब तीसरा एक्शन प्लान बनाया है। इसके पहले के यमुना सफाई के लिए बनाए गए दो एक्शन प्लान में 1800 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी बेकार हो गए। अब तीसरे एक्शन प्लान पर दिल्ली सरकार 1656 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है लेकिन यह सुनिश्चित नहीं है कि इस प्लान के बाद भी यमुना नदी का पानी स्वच्छ हो जाएगा।