“रात में अचानक पानी घर में घुस गया। माल-मवेशी बह गया। खाने पीने का कोई ठौर नहीं है। तीन दिन से हमलोग परेशान हैं, लेकिन कोई हमारी मदद करने नहीं आया है।” गुस्सा और दर्द मिश्रित ये शिकायत बुजुर्ग गौरी सिंह की है।
गौरी सिंह छपरा जिले के पानापुर प्रखंड के सतजोड़ा पंचायत के सतजोड़ा गांव में रहते हैं। वह करीब 80 साल के हैं, लेकिन जब से अक्ल आई है, इतना पानी उन्होंने अपने गांव में नहीं देखा। वह कहते हैं,
“इस बार कई बांध टूट गए हैं, जिससे गांव में बहुत पानी घुस गया है। बाढ़ से सब तबाह हो गया, लेकिन कोई हमारी सुन नहीं रहा है। सरकार को मालूम ही नहीं है कि इस गांव में बाढ़ का पानी आया है।”
इसी गांव के शत्रुघ्न सिंह कहते हैं,
“हमलोग पानी से घिर गए हैं, सुरक्षित निकलने की कोई जगह नहीं है। तीन दिन से सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकार तक हमारी बात नहीं पहुंच रही है। घर में कुछ खाने को भी नहीं है।”
स्थानीय लोगों ने बताया कि 25 जुलाई की देर रात अचानक तटबंधों के टूट जाने से गांव में पानी प्रवेश कर गया। उस वक्त लोग सो रहे थे कि पानी की हलचल से उनकी नींद टूट गई। आनन-फानन में लोगों ने जरूरी सामान को पानी मे डूबने से बचाया। स्थानीय वार्ड मेंबर रामकेवल कुमार ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,
“पक्के मकान की छतों पर लोगों ने शरण ले रखी है। खाने-पीने का सामान भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है।”
छपरा जिले के पानापुर प्रखंड की ये इकलौती पंचायत नहीं है, जहां बाढ़ का पानी लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इसके अलावा बेलोर पंचायत, टोटहा जगतपुर समेत आधा दर्जन से ज्यादा पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। छपरा के अलावा बिहार के 10 जिलों के 14.95 लाख लोग (27 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक) बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। बाढ़ का पानी 11 जिलों की 625 पंचायतों में फैला हुआ है। बाढ़ से अब तक 7 लोगों की मौत हो गई है।
बाढ़ में फंसे ज्यादातर लोगों की शिकायत है कि उन तक सरकारी राहत सामग्री नहीं पहुंची है।
आधा दर्जन जगहों पर बांध धराशाई
अधिकतर इलाकों में बाढ़ की मुख्य वजह तटबंधों का टूटना है और ऐसा तब हो रहा है जब सरकार ने समय से पहले तटबंधों की मरम्मत कर लेने और ड्रोन से बांध की देखरेख करने का दावा किया था।
जानकारी के मुताबिक, पूर्वी चम्पारण के लाहलडपुर-तेतरिया प्रखंड में तटबंध टूट जाने स भारी नुकसान हुआ है। पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण की 4 लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ की चपेट में है।
दरभंगा में सबसे ज्यादा 5,36,846 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। यहां भी तटबंध टूटने के कारण बाढ़ का पानी फैला है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार जिले से होकर गुजरने वाली कमला बालान नदी के डुमरी-गुठली तटबंध के टूट जाने से कई ब्लॉक की पंचायतें जलमग्न हो गईं। मुजफ्फरपुर के सकरा में भी तटबंध के टूट जाने से बरियारपुर समेत कई ब्लॉकों में बाढ़ आ गई है। किशनगंज में भी तटबंध टूट जाने से बाढ़ के हालात गंभीर हो गए हैं। भागलपुर के कदबा दियारा में कोसी का तटबंध टूट जाने से बाढ़ का पानी कई गांवों में घुस गया है। उधर, समस्तीपुर में भी करेह नदी का तटबंध टूटने से कई गांवों में पानी घुस गया है।
वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद
बाढ़ का पानी प्रवेश करने से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। प्रशासन ऐसे गांवों तक पहुंचने में समर्थन नहीं है, जिस कारण राहत कार्य में भारतीय वायु सेना के तीन हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य सचिव अमृत प्रत्यय ने कहा,
“राज्य सरकार की अपील पर तीन हेलिकॉप्टरों की मदद ली गई और प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री बांटी गई।”
जानकारी के मुताबिक, बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित तीन जिलों दरभंगा, गोपालगंज और पूर्वी चम्पारण में तीनों हेलिकॉप्टर लगाए गए और राहत सामग्री बांटी गई।
दरभंगा में वायुसेना के हेलिकॉप्टर में खुद डीएम त्यागराजन एसएम सवार थे और जगह-जगह हवाई सर्वेक्षण कर खाने का सामान बंटवाया।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) और एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) की 25 टीमें तैनात हैं और अभी तक 136464 लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में रखा गया है। प्रभावित लोगों के भोजन के लिए प्रभावित इलाकों में कम्युनिटी किचेन भी संचालित हो रहे हैं।
500 से ज्यादा सड़कों पर आवाजाही ठप
दूसरी तरफ, नदियों का जलस्तर बढ़ने और कटाव के कारण कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं, तो कुछ सड़कें क्षतिग्रस्त भी हुई हैं। इससे कई जिलों व गांवों का एक दूसरे से संपर्क टूट गया है।
सड़क निर्माण विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, लगभग 500 सड़कों पर आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। इनमें 50 सड़कें पथ निर्माण विभाग की हैं। प्रभात खबर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा सड़कें गोपालगंज और पूर्वी चम्पारण की हैं।
बताया जाता है कि गोपालगंज जिले में 650 किलोमीटर, किशनगंज में 200 किलोमीटर, अररिया में 200 किलोमीटर, सुपौल में 100 किलोमीटर पूर्णिया में 50 किलोमीटर, कटिहार में 100 किलोमीटर व दरभंगा में 125 किलोमीटर सड़क पर आवाजाही पूरी तरह ठप है। पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा है कि पानी उतरते ही इन सड़कों पर वाहनों की आवाजाही चालू कर दी जाएगी।
नदियों का जलस्तर
रह-रहकर हो रही बारिश से बिहार की प्रमुख नदियों का जलस्तर अब भी खतरे के निशान के ऊपर बना हुआ है। घाघरा नदी दरौली और खड्डा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इसी तरह बूढ़ी गंडक नदी लालबेगियाघाट, अहिरवालिया, सिकंदरपुर, रोसड़ा, समस्तीपुर और खगड़िया में खतरे के निशान से उपर बह रही है। कई गॉज स्टेशनों में इस नदी के जलस्तर में और इजाफा का अनुमान लगाया गया है।
सेंट्रल वाटर कमिशन की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, बागमती नदी ढेंग ब्रिज पर खतरे के निशान के नीचे बह रही है, लेकिन इसके जलस्तर में इजाफे का अनुमान है जबकि ये नदी रुन्नीसैदपुर, बेनीबाद, हायाघाट, कमतौल, एकमीघाट, में खतरे के निशान के ऊपर है। इसी तरह कमला बालान नदी जयनगर में खतरे के निशान के ऊपर जबकि झंझारपुर में खतरे के निशान के नीचे बह रही है।
बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी बलतारा, कुरसेला, ढेंगराघाट, झावा में खतरे के निशान से ऊफर बह रही है। वही, परमान नदी भी अररिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
आपका सहयोग
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ट्विटर पर @WRD_Bihar (जल संसाधान विभाग) को टैग करते हुए #HelloWRD के साथ लोग तटबंधों की जानकारी दे सकते हैं। सूचना मिलने पर विभाग तुरंत संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को सूचित करेगा और त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
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मूल आलेख हिंदी में उमेश कुमार राय
हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद स्वाति बंसल