सुपौल के खोखनाहा गांव के निवासी रामचंद्र यादव के घर में तीन दिनों तक बाढ़ का पानी घुसा रहा और इन तीनों दिन उन्होंने चौकी पर मिट्टी का लेप लगाकर और उस पर टीम रखकर खाना पकाया तथा उसी चौकी पर रातें बिताईं।
“कोसी नदी का जलस्तर तो लगातार बढ़ रहा था, लेकिन बाहर निकलने का कोई साधन नहीं था, इसलिए घर में रहना तय किया और चौकी पर खाना पकाने का इंतजाम किया”, रामचंद्र ने बताया।
कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले लोग वर्षों से बाढ़ के समय इसी जुगाड़ से खाना पकाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार उनकी मदद नहीं करेगी। इस साल भी यही हुआ। बाढ़ का पानी उनके घर के भीतर घुस गया, लेकिन न तो सरकारी मदद उन तक पहुंची और न ही नाव. नतीजतन उन्हें तीन दिन घर में ही गुजारना पड़ा.
उन्होंने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,
“कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों को सरकारी मदद नहीं के बराबर मिलती है. इसलिए वर्षों से बाढ़ के सीजन में हमलोग इसी जुगाड़ का इस्तेमाल करते हैं। चौकी पर मिट्टी की मोटी लेप चढ़ा देते हैं और उस पर टीन की चादर डालकर खाना पकाते हैं। आप देखेंगे कि तटबंध के भीतर बने हर घर की चौकी पर काला धब्बा मिलेगी। चौकी पर खाना बनाने से ही ये धब्बा पड़ जाता है।”
तटबंध के भीतर बने हर घर में दो-चार चौकियां रहती हैं ताकि बाढ़ के समय जरूरी सामान को पानी से बचाया जा सके और यही चौकी लोगों का ठिकाना भी बनती है।
रामचंद्र कहते हैं,
“बीते दिनों जलस्तर कुछ कम रहा था, लेकिन लगातार बारिश के कारण जलस्तर फिर बढ़ने लगा है, जिससे बाढ़ का खतरा फिर एक बार मंडराने लगा है।”
ये कहानी सिर्फ रामचंद्र की नहीं है. बिहार में बाढ़ से अब तक 3,50378 लोग प्रभावित हो चुके हैं और कमोबेश सभी की कहानी ऐसी ही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार के 8 जिलों की 190 पंचायतें अभी तक बाढ़ से प्रभावित हो चुकी हैं और 3,50378 लोग इसकी जद में आए हैं। इनमें से 13535 लोगों को निकालकर राहत शिविरों में रखा गया है।
सहरसा जिले के कई गांवों में पिछले दिनों पानी घुस गया था। बीच में बारिश नहीं हुई, तो जलस्तर नियंत्रण में था, लेकिन अब दोबारा लोगों में डर समा रहा है।
सहरसा की अइना पंचायत की मुखिया चंद्रप्रभा देवी ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,
“पिछले दिनों कई घरों में पानी घुस गया था। फिर धीरे-धीरे पानी उतरने लगा, लेकिन अब फिर बाढ़ आने की आशंका है।”
दो दिनों तक भारी बारिश के आसार
पिछले 24 घंटों में उत्तर बिहार के जिलों में भारी बारिश हुई है और अगले दो दिनों तक इसी तरह बारिश जारी रहने के आसार हैं। भारतीय मौसमविज्ञान विभाग के मुताबिक, बीते 24 घंटों में पश्चिम चम्पारण के रामनगर और चनपटिया में 290 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है वहीं, मधुबनी के झंझारपुर में 220 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसी तरह सीतामढ़ी के सुरसंड में 220 मिलीमीटर और शिवहर में 210 मिलीमीटर बारिश हुई है।
मौसमविज्ञान केंद्र पटना के प्रभारी निदेशक आनंद शंकर ने कहा, “मॉनसून ट्रफ उत्तर प्रदेश और भागलपुर से होते हुए हिलामय की तरफ बढ़ रहा है, जिसके चलते उत्तर बिहार के जिलों में भारी बारिश हो रही है। उन्होंने कहा है कि अगले 48 घंटों तक इसी तरह बारिश जारी रह सकती है और इसके बाद बारिश में कमी आएगी।”
जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा कहा,
“भारी बारिश से कई हिस्सों में जलस्तर बढ़ गया है। हमलोग विभिन्न नदियों के जलस्तर पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं।”
24 घंटों की भारी बारिश से बागमती और लखनदेई नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है जिससे मुजफ्फरपुर के औराई, कटरा और गायघाट ब्लॉक के कई गांवों में पानी घुस गया है। जिले में बांस से बने कम से कम 10 चचरी पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है।
दरभंगा में बाढ़ से करीब 41 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। यहां की 32 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। इसी तरह पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, किशनगंज आदि जिलों में भी नदियों का जलस्तर बढ़ने से दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
कोसी और गंडक में वाटर डिस्चार्ज बढ़ा
21 जुलाई को कोसी बराज से 3,35425 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कोसी में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गौरतलब हो कि दो दिन पहले कोसी बराज से 2 लाख 57 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ था। उस हिसाब से देखा जाए, तो 60 हजार क्यूसेक ज्यादा पानी का डिस्चार्ज हुआ है। इसका मतलब है कि कोसी में जल का बहाव तेजी से बढ़ रहा है।
गंडक में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। 21 जुलाई की सुबह 6 बजे गंडक बराज से 408000 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ था, जो सुबह 10 बजे बढ़कर 436500 क्यूसेक हो गया।
सेंट्रल वाटर कमिशन के मुताबिक, महानंदा नदी पूर्णिया के धेंगराघाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जबकि किशनगंज के चारघरिया में खतरे के निशान को छू गई है। गंडक नदी बांका के त्रिवेणी में खथरे के निशान को छू गई है। ये नदी नेपाल के चितवन जिले के देवघाट में खतरे के निशान से 1.47 मीटर ऊपर बह रही है। वहीं, अधवारा नदी पश्चिमी चम्पारण के सहरघाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और इसका जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कनकई नदी जो महानंदा की सहायक नदी है, वह नेपाल के इलम के नैमचुली में खतरे के निशान से 1.7 मीटर ऊपर बह रही है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारी बारिश के मद्देनजर जिलाधिकारियो को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि गंडक के जलस्राव वाले क्षेत्रों और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को वहां से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कार्रवाई की जाए। उन्होंने राहत शिविरों में लोगों को मास्क देने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने का भी आदेश दिया है।
इस बीच नदियों के तटबंधों में दरार, कटाव जैसी शिकायतें भी जल संसाधन विभाग तक लगातार पहुंच रही हैं। पिछले 24 घंटों में ऐसी आधा दर्जन शिकायतें मिल चुकी हैं। गोपालगंज के परसौनी गांव में 20 जुलाई को बांध में कटाव की शिकायत की गई, जिसकी तुरंत मरम्मत की गई।
सारण जिले में सारण तटबंध में भी रिसाव की शिकायत मिली, जिसे तुरंत ठीक किया गया। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा,
“भागलपुर के टपुआ गांव में तटबंध से रिसाव की खबर मिली थी, जिसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को दी गई और जल्दी ही उसकी मरम्मत की गई। इसी तरह की शिकायत कमला बालान नदी के तटबंध को लेकर भी मिली थी। उसकी मरम्मत भी कर दी गई है।”
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मूल आलेख हिंदी में उमेश कुमार राय
हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद स्वाति बंसल
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