मॉनसून की बारिश तेज होने के साथ ही बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। उत्तरी बिहार बाढ़ का दंश सबसे ज्यादा झेलता है। इस साल भी मॉनसून की दस्तक के साथ ही बाढ़ की आशंका मंडराने लगी है। कुछ इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश भी कर गया है।
कई बार ये भी देखा जाता है कि लबालबा भरी नदियों के तटबंध टूट जाते हैं और एक झटके में गांव के गांव पानी में बह जाते हैं। इस बार बिहार सरकार ने ये सुनिश्चित करने का फैसला लिया है कि तटबंध टूटने से आने वाली बाढ़ पर यथासंभव नियंत्रण किया जा सके। इसके लिए बिहार के जल संसाधन विभाग की ओर से एक अनूठी पहल शुरू की गई है। इस पहल के जरिए सुदूर गांव के लोग अपने आसपास की नदियों के तटबंध के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं। सरकार इन जानकारियों पर त्वरित कार्रवाई करेगी।
ये अनूठी पहले सोशल मीडिया पर शुरू हुई है। इसकी प्रक्रिया बेहद आसान है। इसमें लोग केवल ट्विटर पर #HelloWRD के साथ अपने क्षेत्र या किसी भी क्षेत्र में तटबंध से जुड़ी सूचना साझा सकते हैं। वे ट्वीट कर बता सकते हैं
जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा ने कहा, “ये मुहिम बाढ़ से सुरक्षा, तटबंध में कटाव, तटबंध में दरार पड़ने या रिसाव होने आदि से संबंधित सूचनाएं तुरंत पाने के लिए शुरू की गई है।”
उन्होंने कहा, “ट्विटर पर @WRD_Bihar (जल संसाधान विभाग) को टैग करते हुए #HelloWRD के साथ लोग तटबंधों की जानकारी दे सकते हैं। सूचना मिलने पर विभाग तुरंत संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को सूचित करेगा और त्वरित कार्रवाई की जाएगी।”
संजय झा ने कहा, “ट्विटर के अलावा टोल फ्री नं. 18003456145 पर कॉल कर भी जानकारी साझा की जा सकती है। ये नंबर 24X7 चालू है। इसके साथ ही एक ऐप भी लाया जा रहा है। इस ऐप के जरिए भी जानकारियां दी जा सकती हैं।”
जनसहभागिता से ही लक्ष्य में सफलता
आपदा प्रबंधन विभाग के जनसंपर्क अधिकारी अवधेश झा ने बताया कि बांध की देखरेख के लिए पारंपरिक तौर पर जो तरीके अपनाया जा रहा था, वो भी लागू है और इसके साथ साथ जनसहभागिता बढ़ाने के लिए हमलोगों ने ट्विटर पर ये कैम्पेन शुरू किया है।
उन्होंने कहा, “हर जोन में प्रशासनिक अधिकारी, इंजीनियर और होमगार्ड तैनात हैं। ट्विटर पर जो शिकायत मिलती है, उसे हम संबंधित जोन के प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाते हैं और वे तुरंत इस पर कार्रवाई करते हैं।” विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि शिकायत मिलने के 4-5 घंटे के भीतर कार्रवाई की जा रही है।
पिछले हफ्ते ये हैशटैग शुरू किया गया था। हैशटैग शुरू होने के बाद से जल संसाधान विभाग तक सूचनाएं भी पहुंचने लगी हैं। 30 जून को एक ट्विटर यूजर ने दो तस्वीरें साझा कर बताया कि मधुबनी जिले के कमला नदी का पश्चिमी तटबंध टूट सकता है और इससे गोपलखा गांव को नुकसान हो सकता है। ट्विटर यूजर ने लिखा कि हर साल यहां तटबंध टूट जाता है और इस साल भी रिसाव हो रहा है। इसी दिन एक अन्य ट्विटर यूजर ने बताया कि उनका गांव सहरसा जिले के बड़गांव पंचायत में है और इस गांव से सटा खेल का एक मैदान आधा कट गया है। इससे पास के ही स्कूल पर भी कटाव का खतरा मंडरा रहा है। इस ट्वीट पर जल संसाधन विभाग ने तुरंत जवाब भी दिया। विभाग ने ट्विटर यूजर को आश्वस्त किया कि जल्द ही अधिकारी वहां पहुंच कर मरम्मत कार्य शुरू करेंगे।
जल संसाधन विभाग के जनसंपर्क अधिकारी अवधेश झा ने कहा कि ट्विटर से मिलने वाली हर सूचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है और उन पर त्वरित कार्रवाई करते हैं।
स्मार्ट फोन न हो तो इस्तेमाल करें हेल्पलाइन नं.
जल संसाधन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं या जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, उनके लिए हमने टोल फ्री नंबर जारी किया है। ये टोल फ्री नंबर चौबीसों घंटे काम कर रहा है। कोई भी व्यक्ति फोन कर अपने इलाके के तटबंधों की जानकारी दे सकता है।
गौरतलब हो कि बिहार के कुल भूखंड का 73 प्रतिशत हिस्सा यानी करीब 68800 वर्ग किलोमीटर भूखंड बाढ़ प्रवण है। इनमें ज्यादातर जिले उत्तर और मध्य बिहार के हैं। इस साल चूंकि मॉनसून एकदम समय पर आया है और मॉनसून की कुल बारिश का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा अभी बरस चुका है, जिससे कई नदियां उफान पर हैं। इससे बाढ़ का खतरा दिनोंदिन बढ़ रहा है। पिछले दिनों कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर थीं, लेकिन अभी जलस्तर में कुछ गिरावट आई है। 4 जुलाई को जल संसाधन विभाग से मिली सूचना के मुताबिक, कमला बालान नदी मधुबनी के झंझारपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। वहीं, बागमती नदी मुजफ्फरपुर के कटौंझा में खतरे के निशान से ऊपर थी।
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पानी और पर्यावरण के मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रहा इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) भी ऐसे समय में बिहार की जनता का सहभागी बनने को तैयार है। हमारे पाठक बिहार के तटबंधों से जुड़ी जानकारियां हमारी वेबसाइट पर भी दे सकते हैं। इस खबर के नीचे कमेंट बॉक्स में आप अपने क्षेत्र के तटबंधों के बारे में बता सकते हैं। हम आपकी सूचना को ट्विटर व अन्य माध्यमों से जल संसाधन विभाग तक पहुंचाएंगे, ताकि विभाग की तरफ से त्वरित कार्रवाई हो सके और जान-मान के नुकसान से बचा जा सके।
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