बिहार में मॉनसून की दस्तक के साथ बाढ़ का खतरा

Submitted by Editorial Team on Wed, 06/17/2020 - 06:01

सुरक्षित जगह जाते बाढ़ प्रभावित

बिहार में मॉनसून ने दस्तक दे दी है। सोमवार की सुबह से मंगलवार तक रह-रह कर बारिश हुई है। बारिश कमोबेश बिहार के सभी जिलों में हो रही है लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश से सटे जिलों में ज्यादा बारिश के आसार हैं। मौसमविज्ञान केंद्र, पटना के मुताबिक, पिछले 24 घटों में 27 मिलीमीटर बारिश हुई है। मौसमविज्ञानियों ने बताया कि 18 जून से बिहार में अच्छी बारिश हो सकती है क्योंकि बिहार में इस दौरान निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा। बिहार में मॉनसून में औसतन 1017 मिलीमीटर बारिश होती है। 

इस बीच, मॉनसून की दस्तक के साथ ही बिहार में बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है। बिहार के 38 में से 28 जिले बाढ़ प्रवण हैं। इनमें से उत्तर बिहार के जिलों को बाढ़ का सबसे ज्यादा दंश झेलना पड़ता है। बिहार की बाढ़ में नेपाल से आनेवाली नदियों का बड़ा रोल होता है। नेपाल में शुक्रवार को ही मॉनसून आया है और शुक्रवार व शनिवार को वहां ठीकठाक बारिश हुई है। नेपाल प्रशासन ने भी भारी बारिश होने की सूरत में हर तरह की तैयारी रखने को कहा है। 

इधर, बिहार में अप्रैल और मई में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी मॉनसून की बारिश सामान्य से अधिक हो सकती है। पिछले साल भी बिहार में मॉनसून की बारिश ज्यादा हुई थी। खासकर मॉनसून की विदाई के वक्त दो दिनों में ही 350 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, जिससे पटना शहर एक हफ्ते तक डूबा रहा था। पटना के अलावा कई जिलों में बाढ़ आ गई थी।  

अगर इस साल भी बाढ़ आ जाती है, तो बिहार सरकार के लिए इससे निबटना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि बाढ़ के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना होगा और कोविड-19 के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना होगा।  बिहार में ऐसी संरचना नहीं है कि राहत शिविरों में सरकार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा सके। हालांकि जिला स्तरीय पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि बाढ़ आने की स्थिति में राहत शिविरों में पर्याप्त सैनिटाइजर व साबून रखा जाए। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमृत प्रत्यय ने सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र लिखकर राहत शिविरों में पर्याप्त इंतजाम करने को कहा है।

इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व अन्य पदाधिकारी भी समय-समय पर बाढ़ से निबटने की तैयारियों को लेकर बैठक कर रहे हैं। लेकिन, सच बात ये है कि बाढ़ से निबटने की सरकार की तैयारी अपर्याप्त है। कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण बाढ़ वाले इलाकों में बांधों की मरम्मत व अन्य जरूरी काम नहीं हो पाए हैं, नतीजतन इस साल बाढ़ आने पर सरकार के लिए इससे निबटना बड़ी चुनौती हो सकती है। सुपौल के कुनौली के उप प्रमुख हरे राम मेहता ने बताया कि कोसी का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे लग रहा है कि इस बार भी बाढ़ का कहर बरपेगा। उन्होंने कहा, “यहां बाढ़ आने पर लोगों को ठहराने के लिए ऊंचे टीले बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार नए सिरे से कोई टीला नहीं बना है। जो भी है वह पहले का ही बना हुआ है।”

कोसी बेल्ट में काम करने वाले स्वयंसेवी संगठन एनएपीएम से जुड़े महेंद्र यादव ने कहा, “हमलोगों ने सुपौल के डीएम को एक ज्ञापन देकर बाढ़ से निबटने के लिए पर्याप्त इंतजाम करने को कहा है। इधर, बांध को लेकर थोड़ा बहुत काम हुआ है। हमने डीएम से कहा था कि बाढ़ के वक्त प्रभावशाली व जनप्रतिनिधि अपनी या आपने चहेते लोगों की नाव का अनुबंध कराकर खुद इस्तेमाल करते हैं। इससे जनता नाव सेवा से वंचित रह जाती है, इसलिए नावों को लेकर अनुबंध में पारदर्शिता बरती जाए और नावों पर बोर्ड लगाए जाएं, ताकि लोगों को पता चल सके कि वे सरकारी नावें हैं। इस पर डीएम ने उन निजी नावों की सूची देने को कहा है, जिन्हें बाढ़ के वक्त किराए पर लिया जा सकता है।” 

उन्होंने कहा, “हमने डीएम से कहा है कि कोसी तटबंधों के बीच रहने वाले लाखों लोगों को समय रहते सुरक्षित जगह पर पहुंचाना चाहिए। इसके अलावा हमने ये भी कहा है कि बारिश और जलस्तर बढ़ने की खबर सरकार के उच्चस्तरीय अधिकारियों तक पहुंच जाती है, लेकिन आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। इस बार ये भी सुनिश्चित किया जाए कि ये सूचनाएं गांवों तक पहुंचे ताकि लोगों की भागीदारी से बचाव कार्य बेहतर तरीके से किया जा सके।”