मॉनसून की दस्तक के साथ ही बिहार में रुक-रुक बारिश हो रही है जिससे सूबे की कई नदियों के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता दिख रहा है।
सेंट्रल वाटर कमिशन से मिली जानकारी के अनुसार, किशनगंज के मौजाबाड़ी फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में महानंदा नदी हाई फ्लड लेवल के ऊपर पहुंच गई है जबकि चारगछिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसी तरह कटिहार के झावा और पूर्णिया के धेंगराघाट फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।
यहां ये भी बता दें कि महानंदा नदी उत्तर बंगाल और बांग्लादेश से होकर बहती है और बिहार में यह तीन जिलों किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार से होकर गुजरती है।
महानंदा नदी के अलावा कोसी, बागमती और परमन नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है। बताया जा रहा है कि कोसी नदी का जलस्तर खगड़िया के बालतारा फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन, खगड़िया के डुमरी और बलतारा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बागमती नदी पांच मॉनीटरिंग स्टेशनों में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है और इसमें दिनोंदिन इजाफा हो रहा है। बागमती का जलस्तर जिन मॉनीटरिंग स्टेशनों में खतरे के निशान से ऊपर दर्ज किया गया है, उनमें सीतामढ़ी के चार तथा मुजफ्फरपुर और शिवहर के एक-एक स्टेशन शामिल हैं। सीतामढ़ी धेंग ब्रिज स्टेशन पर जलस्तर 70.16 मीटर रहा, जो खतरे के निशान से 06 मीटर ऊपर था। इसी तरह सोनाखान स्टेशन में बागमती का जलस्तर 68.18 मीटर रहा, जो खतरे के निशान से 0.62 मीटर ऊपर था।
बागमती नदी मुजफ्फरपुर के बेनीबाद में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है लेकिन, समस्तीपुर के हायाघाट, दरभंगा के एकमी घाट व कमतौल, मधुबनी के सौलीघाट में फिलहाल खतरे के निशान से नीचे हैं।
गंगा नदी की बात करें, तो ये अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही है लेकिन भागलपुर में भागलपुर फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन और कहलगांव मॉनीटरिंग स्टेशन तथा मुंगेर के मुंगेर फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशन में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बिहार से बहने वाली 7 प्रमुख नदियों के जलस्तर को 36 मॉनीटरिंग स्टेशनों पर मापा गया जिनमें से 15 स्टेशनों को छोड़ कर 21 मॉनीटरिंग स्टेशनों में जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है और अगले 48 घंटों तक जलस्तर में और बढ़ोतरी हो सकती है।
किशनगंज के डीएम आदित्य प्रकाश ने कहा है कि हालात पर प्रशासन पैनी नजर रखे हुए है और बाढ़ को लेकर तैयार किए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) को पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया, “पर्याप्त संख्या में नावों और बचाव दल को तैनात किया गया है, जो आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाएंगे। बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को पहले सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा।”
इधर, मौसमिविज्ञान विभाग की तरफ से बताया गया है कि अगले 24 घंटों तक उत्तरी बिहार में जोरदार बारिश हो सकती है। दूसरी तरफ नेपाल की तराई में भी बारिश हो रही है। इन दोनों वजह से नदियों के जलस्तर में और इजाफे की आशंका है।
पटना मौसमविज्ञान केंद्र से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून से 29 जून के बीच बिहार में 296.3 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जो इस अवधि में सामान्य से 142 मिलीमीटर अधिक है। इस अवधि में सबसे ज्यादा 524 मिलीमीटर बारिश अररिया में दर्ज की गई है। वहीं, मधुबनी, पश्चिमी चम्पारण, गोपालगंज, दरभंगा, पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा और सारण में 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई है। वहीं, सुपौल में 464 मिलीमीटर बारिश हुई है।
इधर, भारी बारिश के मद्देनजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशासनिक अधिकारियों से नदियों पर नजर रखने को कहा है। उन्होंने रविवार को समीक्षा बैठक में कहा, “लगातार बारिश से नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों पैनी नजर रख जानी चाहिए।” उन्होंने इन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने को कहा है जहां पिछले साल बाढ़ से ज्यादा नुकसान हुआ था।