जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (Climate Change adaptation in Hindi)

Submitted by Editorial Team on Thu, 03/03/2022 - 08:02

परिभाषा - वास्तविक या संभावित जलवायुविक विसंगतियाँ या उसका प्रभाव जो प्रकृति में या मानव समाज में समायोजन युक्त हो जो नुकसान को कमतर, सामान्य या लाभदायक संभावनाओं को बनाता हो।

टिप्पणी: यह परिभाषा जलवायु परिवर्तन पर चिन्ता व्यक्त करती है और इसका स्रोत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय का ढाँचागत विमर्श है। अनुकूलन की विस्तृत संकल्पना अजलवायुविक तत्वों पर भी लागू होती है। जैसे मृदा अपरदन या भूसतह का धंसना, अनुकूलन एक स्वभाविक चलन के रूप में हो सकती है। उदाहरणतया अंतरा ट्रीय अनुकूलन नीतियों एवं योजनाओं को ग्रहण करने के परिणाम स्वरूप। बहुत से आपदा जोखिम न्यूनीकरण उपाय स्वतः ही अपेक्षाकृत बेहतर अनुकूल में प्रत्यक्ष योगदान कर सकते हैं।

जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता क्यों है?

वैज्ञानिक और दिल्ली साइंस फोरम के सदस्य डी. रघुनंदन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है और उत्सर्जन को रोकने के साथ-साथ उनके अस्तित्व में मदद करने के लिए अनुकूलन प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि समुदायों को लगातार और अधिक तीव्र बाढ़, अधिक जंगल की आग, समुद्र के स्तर में वृद्धि की चुनौतियों, सूखा, हीटवेव, चक्रवात, तूफान के लिए तैयार करने में मदद करने के लिए यह आवश्यक है. श्री रघुनंदन ने आगे कहा,

''अनुकूलन जलवायु-लचीला विकास है. हमारे किसानों को बदलते वर्षा पैटर्न, भूमि क्षरण, मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी से निपटने में मदद करने के लिए अनुकूलन प्रयासों की जरूरत है. जंगलों पर निर्भर आदिवासी समुदायों को जंगल की आग के लंबे समय के लिए तैयार रहने में मदद करने के लिए यह जरूरी है. लोगों को अपना घर आजीविका और जीवन खोने से बचाने और उन्हें जलवायु शरणार्थी बनने से बचाने के लिए अनुकूलन प्रयासों की जरूरत है. अनुकूलन के उपाय भेद्यता को कम करने में मदद कर सकते हैं.''(1)