आ देख जरा तू आने वाले पानी को

Submitted by Hindi on Sat, 12/15/2012 - 14:26
Source
हिमालयी पर्यावरण शिक्षा संस्थान मातली, उत्तरकाशी
आ देख जरा तू आने वाले पानी को
जंगल! ओ जंगल।

नया गीत दे, बादल भरी, कहानी को
जंगल, ओ जंगल।

कई कथाओं वाले पर्वत पढ़ ले तू।
बर्फीले जंगल में आग पहन ले तू।
और गीत दे पंखों भरी जवानी को
जंगल! ओ जंगल

परिकथाओं को भी थोड़ा पानी दे,
शहराते बच्चों को चिड़िया रानी दे।
नई तान दे लोक गीत की बानी को
जंगल! ओ जंगल।

ताजी रोटी जैसी हवा नहा के दे,
यारों की महफिल को रोज ठहाके दे।
याद जरा कर, मां की डांट पुरानी को,
जंगल, ओ जंगल।

सागर को भी हवा-हवा हो जाना है,
बादल में पानी-पानी बो जाना है।
नई बात दे बीती हुई कहानी को,
जंगल! ओ जंगल?

सूरज की किरणें बाहें फैलाती हैं,
पेड़ों की परछाई हाथ मिलाती है।
संदेशा दे युद्धों की मन मानी का,
जंगल ओ! जंगल।