सुनता है नदियों का बहता पानी

Submitted by Hindi on Sat, 12/15/2012 - 14:46
Source
हिमालयी पर्यावरण शिक्षा संस्थान मातली, उत्तरकाशी
उठती हुई आवाज की बानी
सुनता है नदियों का बहता पानी

गंगा की आंखों में आंसू भरे हैं
यहां वहां के लोग डरे हैं

कौन दिलायेगा हिस्सेदारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

खेतों में उगते हैं डंडे-झंडे
जिंदा है लोगों के पैने हथकंडे

पर्वत से बहती पानी जवानी
सुनता है नदियों का बहता पानी

कर्जे में डूबे देश को देखो
चोरों को संतों के भेष में देखा

रोज चुनावों में जनता हारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

प्यासा जंगल प्यासा गांव
जलती धरती झुलसे पांव

मांजी के कंधे पे बोझा भारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

बांधों से डूबे शहरों को देखो
झुलसी हुई इन लहरों को देखा

सारे जहां में साज़िश है भारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

फाईल के पन्ने नेता चबाते
अफ़सर चबाते, गुंडे चबाते,

आंकड़ों की ये करते जुगाली
सुनता है नदियों का बहता पानी

पानी के सुखे स्रोत ने देखा,
आने वाली मौत ने देखा

आंसू में डूबी है जनता सारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

हर हाथों को काम मिला है
मजदूरी को दाम मिला है

झूठी आशाओं की है ये खुमारी
सुनता है नदियों का बहता पानी

साथ चलेंगे साथ रहेंगे
तूफानों से बात करेंगे

यही हमारी है ज़िम्मेदारी।
सुनता है नदियों का बहता पानी।

(पर्वतीय लोक धुन पर आधारित)