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राजस्थान पत्रिका, 15 जुलाई, 2016
जल को संपदा नहीं, मानवाधिकार मानती है दिल्ली सरकार
दिल्ली जल बोर्ड ने जल एवं सीवेज प्रबन्धन के क्षेत्र में अपनी कार्यशैली और निगरानी पद्धति को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। राजस्व में 170 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी ने खराब अर्थशास्त्र की गणित को तो सुलझाया ही, साथ ही सुशासन के सकारात्मक परिणाम भी सामने लाए।
अपने चुनावी वादों को भलीभाँति पूरा करते हुए दिल्ली सरकार ने सत्ता में आते ही दिल्ली के हर परिवार को 20 लीटर पानी प्रतिमाह मुफ्त में देने के प्रस्ताव पर मंजूरी लगा दी थी। इस पहल से सभी उपयोगकर्ताओं को लाभ पहुँचा। नागरिकों को जीरो बिलिंग की सुविधा मिली, वहीं क्रॉस सब्सिडी से राजस्व को भी लाभ पहुँचा। दिल्ली सरकार ने सत्ता में आने के पहले दिन से ही अपने वादे पूरे करने शुरू कर दिए थे, जोकि आधुनिक राजनीति में कम ही देखने को मिलता है। मिश्रित पानी टैरिफ को हटाने के फैसले से लाखों व्यापारियों को लाभ पहुँचा, जिन्हें पानी के गैर-गहन उपयोग के बाद भी कॉमर्शियल दर पर ही बिल चुकाना पड़ता था।अब उन्हें इस अतिरिक्त प्रभार से मुक्ति मिली है। दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया कहते हैं, ‘राष्ट्रीय राजधानी में होते हुए भी हमें बोतलबंद पानी पीना पड़ रहा है। हमारा उद्देश्य यह है कि दिसम्बर 2017 तक सभी अधिकृत और गैर-अधिकृत कॉलोनियों में पाइपलाइन के जरिए पानी उपलब्ध करा सकें।’ दिल्ली में जल संकट के बीच कुछ अवांछित तत्व निजी जल टैंकरों के माध्यम से मनमाने दाम पर पानी का वितरण करा रहे थे। इस पर लगाम कसने के लिये पानी के टैंकरों द्वारा जल वितरण के लिये भी पारदर्शी व्यवस्था स्थापित की गई, जो जीपीएस-जीपीआरएस पर आधारित है और आवश्यकतानुसार जल वितरण करती है। वर्तमान में, दिल्ली जल बोर्ड ने जल पाइपलाइन और आपूर्ति के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है और ये काम द्वारका, संगम विहार और तुगलकाबाद तक पहुँच चुका है।
इससे पता चलता है कि सरकार जल को एक मानव अधिकार के तौर पर मुहैया कराने की दिशा में गंभीर है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015-16 में कार्यभार संभाला। इस साल महज 19 किलोमीटर की पाइपलाइन को पुनः बिछाया गया, जबकि 167 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाने का नया काम किया गया। इसके जरिए 217 कॉलोनी को कवर किया गया। ये दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एक साल में कवर की गई सबसे ज्यादा कॉलोनियाँ रहीं। पिछले एक साल में किए गए प्रयासों का ही परिणाम रहा कि दिल्ली की 1119 गैर-अधिकृत कॉलोनियों में अब जल पाइपलाइन की पहुँच है।
दिल्ली जल बोर्ड ऐसी नीति भी लाया है, सुशासन और गरीब-हितैषी है। गैर-अधिकृत कनेक्शन का नियमितीकरण, 250 गैर-अधिकृत कॉलोनियों में पानी मुहैया कराना, सीवरेज और जल विकास के दामों में कमी, ये ऐसे कदम हैं, जिनसे दिल्ली के गरीब तबके के लिये भी जल उपलब्ध हो सकेगा। इसके साथ ही चूँकि ये सभी सेवाएँ अब दिल्ली जल बोर्ड की आधिकारिक निगरानी में होंगी, तो सेवाओं का बेहतर क्रियान्वयन और अच्छा प्रबंधन भी हो सकेगा।
दिल्ली जल बोर्ड ने जल एवं सीवेज प्रबन्धन के क्षेत्र में अपनी कार्यशैली और निगरानी पद्धति को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। राजस्व में 170 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी ने खराब अर्थशास्त्र की गणित को तो सुलझाया ही, साथ ही सुशासन के सकारात्मक परिणाम भी सामने लाए। दिल्ली जल बोर्ड के ‘एम-सेवा एप’ के जरिए ऑनलाइन ही बिल मंगाया जा सकता है, बिल का भुगतान किया जा सकता है। इससे दिल्लीवासियों को और भी सुविधा मिल सकेगी।