दूधातोली लोक विकास संस्थान को मिलेगा राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान

Submitted by Hindi on Wed, 09/21/2011 - 17:53
Source
इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) टीम

पानी के लिए मेहनत रंग लाईपानी के लिए मेहनत रंग लाईमध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008-09 के राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान की घोषणा कर दी है। राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान राशि के मामले में भारत का सबसे बड़ा सम्मान है। इसमें 10 लाख रुपए की राशि एवं सम्मान-पट्टिका प्रदान की जाती है। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के उफरैखाल स्थित दूधातोली लोक विकास संस्थान को दिया गया है। श्री शर्मा ने बताया कि, ‘सम्मान समारोह 2 अक्टूबर, 2011 को भोपाल में आयोजित किया जाएगा।’

राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान की घोषणा करते हुए संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के आदर्शों, सिद्धांतों और विचारों पर कार्य करने वाली संस्था के लिए स्थापित राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान से विभूषित होने वाली संस्था दूधातोली लोक विकास संस्थान लंबे समय से सामाजिक सरोकारों के विभिन्न आयामों में कार्य कर रही है। संस्था द्वारा हरियाली, जल, जंगल एवं जमीन के भावी चुनौती को पहले से ही समझ कर संरक्षण के जो महती उपाय और कार्य निष्काम भावना से किए गए हैं। वे सीधे सामाजिक हितों से जुड़ते हैं।

निचले हिमालय के दूधातोली क्षेत्र में काम कर रही संस्था दूधातोली लोक विकास संस्थान जिसके प्रयास और पर्यावरण के लिए योगदान गुमनाम ही रहा है। एक ओर जहां नदियों, ग्लेशियरों के पिघलने की चिंता में मोटे हो रहे बड़े-बड़े एनजीओ; तो वहीं दूसरी ओर एक गुमनाम छोटी-सी जगह के गांववासी। उन्होंने रिपोर्टों का नदी और पहाड़ बनाने की बजाय न केवल अपने क्षेत्र को पानीदार बनाया बल्कि हरियाली के साथ-साथ जलीय-जीवों को भी एक नया जीवन दिया। हरियाली ऐसी घनी कि सूरज की रोशनी मुश्किल से जमीन तक पहुंचती है।

आज दूधातोली में पानी को इकट्ठा करने के लिए छोटे-छोटे ताल-तलैयों का एक जाल सा बिछा हुआ है। 20 हजार चालों (तालाब) के रचना ने दूधातोली को न केवल अकाल और सूखे से राहत दी है। बल्कि इसे फायर प्रूफ बना दिया है। कभी दूधातोली लोक विकास संस्थान के इस काम से विश्व बैंक के लोग भी इतना प्रभावित हो गए थे कि दूधातोली लोक विकास संस्थान को इस काम के लिए कर्ज तक देने के लिए प्रस्ताव रख दिया था लेकिन संस्थान के लोगों ने साफ शब्दों में इनकार करते हुए कहा जब हम सब लोगों के साथ मिलकर इस काम को अच्छे से अंजाम दे सकते हैं, तो फिर इसमें इतना बड़ा कर्ज लेने का क्या मतलब। दूधातोली लोक विकास संस्थान के लोग कहते हैं कि ‘ये सब काम भावना से हुआ है और जब तक भावना से लोग किसी काम में नहीं जुड़ते तब तक कोई भी बड़ा काम सफल नहीं होता’ हालांकि दूधातोली के लोगों का यह प्रयोग बाहर के लोगों के लिए उतना जाना-पहचाना नाम नहीं है। फिर भी दूधातोली लोक विकास संस्थान के लोग अपने पूरी सिद्दत के साथ चालों-तालों की खुदाई का काम जारी रखे हुए हैं।