स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के प्रथम बलिदान दिवास को हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृ सदन में संकल्प सभा के रूप में आयोजित किया गया। सर्वप्रथम स्वामी सानंद के बलिदान को याद कर सभा में दो मिनट का मौन रखा गया। सभा में स्वामी सानंद के संकल्पों को धरातल पर उतारने के लिए आवश्यक कार्यनीति का निर्धारण किया तथा ध्वनिमत से निश्चय किया गया कि गंगा एक्ट बनाने का कार्य पर्यावरणविद रवि चोपड़ा की अध्यक्षता वाली टीम करेगी, जिसके समन्वयक राष्ट्रीय अभिमान आन्दोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बसवराज पाटिल होंगे। शेष अन्य सदस्यों में मातृ सदन का एक प्रतिनिधि तथा दो अन्य का निर्धारण वह टीम करेगी। इस टीम को सरकार से संवाद करने का दायित्व भी सुपुर्द किया गया है।
इस दौरान दक्षिण भारतीय फिल्मो के सुप्रसिद्ध अभिनेता पवन कल्याण ने स्वामी सानंद की अपूरणीय क्षति से उनके हृदय में हुई वेदना को सार्वजनिक करते हुए कहा कि जब उन्होंने सुना था कि स्वामी सानंद नहीं रहे तो उन्हें बहुत गहरा आघात हुआ और अपनी जिम्मेदारी का बोध हुआ। उन्होंने कहा कि स्वामी के जाते ही मुझे ऐसा लगा कि स्वामी जी के निधन का दोषी हर भारतीय है, क्योंकि मां गंगा सभी की है और गंगा को स्वच्छ रखना सभी की जिम्मेदारी है। पवन कल्याण ने कहा कि हमने 2014 में मोदी सरकार का समर्थन किया था ताकि गंगा का पुनर्जीवन सम्भव हो सके, लेकिन सौ से ज्यादा दिनों तक अनशन के बाद स्वामी सानंद जी का चले जाना अत्यन्त दुखदायक रहा। इससे हमने महसूस किया कि यदि सरकार गंगा के प्रति संवेदनशील होती तो ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वे स्वामी सानंद के बलिदान के समय मातृसदन नहीं आ पाए थे जिसका उन्हें बहुत दुख है, लेकिन आज एक साल बाद वे यहाँ उपस्थित हैं। यहाँ बहुत से आश्रम हैं लेकिन मातृ सदन सबसे विशेष है जिसके सन्यासी गंगाजी के लिए खड़ें हैं।
पवन कल्याण ने कहा कि गंगा को भारतवर्ष में माँ का दर्जा प्राप्त है और गंगा नदी का सम्मान विश्वव्यापी है। गंगा की रक्षा के लिए हम गंगा के इस आंदोलन से युवाओं को जोड़ेंगे। पर्यावरणविद रवि चोपड़ा ने कहा कि हम दायित्व का निर्वाह पूरे मनोयोग से करेंगे तथा गंगा को अविरल बनाने के लिए सरकार को बाध्य करेंगे.। जल पुरुष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए कहा कि गंगा के पाँच सरोकार अध्यात्म, संस्कृति, सत्यनिष्ठा, समाज तथा युवा को बनाकर आगे के आन्दोलन चलाए जाएँगे। अध्यक्षीय वक्तव्य में स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने कहा कि गंगा की रक्षा के लिए आंदोलन की कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए मातृ शक्ति आगे आ रही है और 23 वर्षीय मातृ सदन की साध्वी ब्रह्मचारिणी पद्मावती अपने प्राणों के उत्सर्ग के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि वे अभी भी चाहते हूँ कि सरकार को सदबुद्धि हो लेकिन सरकार को सदबुद्धि तभी होगी जब जनमानस जागरुक होगा। बसवराज पाटिल ने कहा कि बड़े मन से बड़ा कार्य होता है तथा आन्दोलन के लिए सही समय का चुनाव करना यथार्थ रूप से सबसे अधिक आवश्यक है। साथ ही सभा की समाप्ति से पहले सभी ने स्वामी सानंद जी के संकल्प को पूरा करने के लिए अपना पूरा प्रयास करते रहने का संकल्प लिया।
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