गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती अब खुद अनशन करने आगे आए हैं। वे होली की सुबह 9 बजकर 30 मिनट (10 मार्च) पर हरिद्वार स्थित मातृसदन में अनशन पर बैठ गए है। तो वहीं 41 दिनों से अनशरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने अनशन को विराम दे दिया गया है। स्वामी शिवानंद सरस्वती, पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला और मधु झुनझुनवाला ने उन्हें इलेक्ट्रोल पिलाकर अनशन समाप्त कराया, जबकि साध्वी पद्मावती का उपचार दिल्ली स्थित एम्स के आईसीयू में अभी भी जारी है।
मातृसदन गंगा पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन समस्त बांधों को निरस्त करने। विशेषकर सिंगोली भगवारी, फाटा ब्युंग, तपोवन विष्णुगाड़, विष्णुगाड़ पीपल कोटी को तत्काल निरस्त करने, बने हुए बांधों को IIT consortium के अनुसार ई-फ्लो देने तथा ये नियम हरिद्वार के भीमगोड़ा और नरोरा आदि बांधों पर भी लागू करने, गंगा पर खनन संबंधी नेशनल निशन फाॅर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के आदेश का अक्षरशः पालन करने और नोटिफिकेशन जारी हो ताकि भ्रष्ट नेता और अधिकारी कालांतर में इसके साथ छेडछाड़ न कर सकें। गंगा के एक्ट के लिए एक विस्तृत चर्चा हो, साथ ही इसमें मातृसदन एवं अन्य गंगा समर्पित संस्था भी सम्मिलित रहें और फिर इसे पार्लियामेंट में भेजा जाए। हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अबुदई किशन राज को निलंबित पर उन पर उच्च स्तरीय जांच बैठाने आदि मांगों को लेकर 15 दिंसंबर 2019 को साध्वी पद्मावती मातृसदन में अनशन पर बैठी थीं। 30 जनवरी को उन्हें जबरन उठाकर दून अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां से दिल्ली स्थित एम्स में रेफर किया गया। स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। बीच में वे अचेतन अवस्था में चली गई थी। फिर कुछ दिन बार बाद उन्हें होश आया, लेकिन आज भी एम्स के आईसीयू में भर्ती हैं और जीवन के लिए संघर्ष कर रही हैं। हांलाकि उन्होंने अभी तक अपना अनशन समाप्त नहीं किया है।
पद्मावती को मातृसदन से उठाकर ले जाने के बाद ब्रह्मारी आत्मबोधानंद भी अनशन पर बैठ गए। 19 फरवरी को आत्मबोधानंद ने जल का त्याग कर दिया। जल त्याग के करीब चार दिन बाद जिला प्रशासन ने उन्हें भी जबरन उठाकर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया। यहां उनका नियमित रूप से उपचार चला, लेकिन आत्मबोधानंद ने अस्पताल में भी न तो अन्न ग्रहण किया और न ही जल। उनका अनशन यहां भी जारी रहा। डाॅक्टरों को ड्रिप के माध्यम से उन्हें फीडिंग की। लेकिन पांच मार्च को डाॅक्टरों ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद जिस प्रशासन का दायित्व उन्हें सकुशल मातृसदन तक पहुंचाना था, उसने उनकी सुध तक नहीं ली। वे एम्स में वार्ड के बाहर चादर बिछाकर बैठे रहे। यहीं ठंड में उन्होंने रात गुजारी। मातृसदन के अनुयायी उन्हें आश्रम लेकर आए। तो इस विकट समस्या को देखते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने उनका अनशन को विराम दिलवाने का निर्णय लिया और खुद अनशन पर बैठने की घोषणा की।
होली के सुबह स्वामी शिवानंद सरस्वती, पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला और मधु झुनझुनवाला ने इलेक्ट्रोल पिलाकर आत्मबोधानंद के अनशन को विराम दिलवाया। इसके बाद स्वामी शिवानंद अनशन पर बैठ गए। स्वामी शिवानंद ने कहा कि वे पहले कुछ दिन सीमित मात्रा में जल ग्रहण करेंगे और तत्पश्चात जल का भी त्याग कर देंगे। अनशन पर बैठने की जानकारी से उन्होंने 9 मार्च को ही पत्र लिखकर प्रधानमंत्री को अवगत करा दिया है।