गंगा में खनन पर रोक प्रवासी पक्षियों के लिए बनी वरदान

Submitted by Shivendra on Mon, 08/10/2020 - 09:36

फोटो - TOI

एक तरफ एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से गंगा में खनन पर लगाई गई रोक सरकार और खनन व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा है। दूसरी ओर खनन पर लगी रोक प्रवासी पक्षियों के लिए वरदान साबित हो रही है। खनन पर रोक के कारण बीते वर्षों की अपेक्षा हरिद्वार में प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। साथ ही वें हरिद्वार में अधिक समय तक प्रवास भी कर रहे हैं। इसे मातृसदन के अथक प्रयासों का परिणाम भी माना जा रहा है। 

हरिद्वार में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। माकूल महौल मिलने के कारण ये पक्षी भीमगौड़ा बैराज के आसपास और झिलमिल झील की तरफ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। ये नदी में या नदी के किनारे पेड़ों पर अथवा टापुओं पर बैठकर आनंद उठाते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर गंगा नदी में अवैध खनन कर टापुओं को नष्ट कर दिया गया था। लगातार खनन होने पर प्रवासी पक्षियों के प्रवास स्थलों पर विघ्न भी पड़ रहा था। 

वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा के दौरान भी भीमगोड़ा बैराज में प्रवासी पक्षियों के ठहरने का टापू बह गया था। इससे भी पक्षियों की संख्या में कमी आई थी। तो वहीं खनन सहित बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप से प्रवासी पक्षी असुरक्षित महसूस करने लगे और उनकी संख्या में कमी आने लगी। खनन से गंगा को हो रहे नुकसान के खिलाफ मातृसदन ने प्रमुखता से आवाज उठाई। नतीजतन, एनजीटी ने हरिद्वार में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी एनजीटी के आदेश को कायम रखा।  

अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. दिनेश भट्ट के 11 वर्षों के अध्ययन में खनन पर रोक लगने का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। अध्ययन में पाया गया है कि मानवीय हस्तक्षेप कम होना और खनन पर रोक लगना प्रवासी पक्षियों के लिए वरदान साबित हुआ है। जिस कारण प्रवासी पक्षी गंगा तटों पर सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। पक्षी पहले की अपेक्षा अधिक समय हरिद्वार में व्यतीत कर रहे हैं, जो पक्षियों के संरक्षण की दृष्टि से सकारात्मक संदेश है। हरिद्वार में भीमगोड़ा बैराज, मिस्सरपुर पशुलोक बैराज सहित राजाजी टाइगर रिजर्व के कई स्थानों और गंगा घाटों पर प्रवासी पक्षी पहले की अपेक्षा पिछले वर्ष काफी अधिक आए थे। 


मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने बताया कि खनन पर रोक लगना केवल प्रवासी पक्षियों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतुओं सहित पूरे पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। लेकिन प्रशासन और सरकार का ध्यान खनन के दुष्प्रभावों की ओर नहीं जा रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. दिनेश भट्ट ने बताया कि अध्ययन के दौरान पाया गया कि खनन पर रोक लगने से विघ्न कम हुआ है और पक्षी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इससे उनकी संख्या में पहले की अपेक्षा काफी इजाफा हुआ है। ये मातृसदन के अथक प्रयासों के बाद संभव हो सका है।

सुर्खाब। प्रतीकात्मक फोटो -राज्य समीक्षा।

आमतौर पर प्रवासी पक्षी 10 मार्च तक हरिद्वार से लौटने लगते हैं, लेकिन दिनमान और तापमान में बदलाव के कारण राजहंस के 50 से 60, सुर्खाब के 25 से 30, गल्फ के 60 से 70, पेंटेड स्टोर्क के 30 से 35 और ब्लैक विंग स्पिल्टि के 60 जोड़े 2019 में हरिद्वार में मार्च महीने के अंत तक भी देखे गए थे। इतनी संख्या में पक्षियों को इस समय तक हरिद्वार में ठहरते हुए पहली बार देखा गया था।

दूसरी तरफ झिलमिल झील कंज़र्वेशन रिजर्व में भी पक्षियों को अनुकूल पर्यावरणीय माहौल मिलने लगा है। जिस कारण यहां स्थानीय पक्षी ही नहीं, बल्कि प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा है। तितलियों की संख्या भी पहले की अपेक्षा काफी बढ़ गई है। यहां स्थानीय पक्षियों और प्रवासी पक्षियों की संख्या पहले की अपेक्षा 225 से बढ़कर 268 दर्ज की गई है। 


हिमांशु भट्ट (8057170025)