गंगा की रक्षा के लिए 15 दिसंबर से पद्मावती मातृसदन में करेंगी अनशन

Submitted by Shivendra on Fri, 12/06/2019 - 11:05

साध्वी पद्मावती और स्वामी शिवानंद सरस्वती।

गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन के तीन संत स्वामी गोकुलानंद, स्वामी निगगानंद और प्रख्यात पर्यावरणविद स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं। जिसके बाद हरिद्वार विश्व का ऐसा पहला शहर बन गया था, जहां किसी नदी की रक्षा के लिए बलिदान हुआ है। इन सभी बलिदानों के बावजूद भी सरकार ने गंगा की रक्षा के लिए किये गए अपने वादों को पूरा नहीं किया और हाईकोर्ट अथवा एनजीटी के आदेशों के बाद भी हरिद्वार में गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। बीते वर्ष मई माह में नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने हरिद्वार जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर खनन के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश का अभी तक अनुपालन नहीं हुआ। मातृसदन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मांगों के संदर्भ में एक पत्र भेजा गया, लेकिन अभी तक मांग पूरी नहीं हुई। जिस कारण मातृसदन की साध्वी पद्मावती ने 15 दिसंबर 2019 से 6 सूत्रीय मांगों को लेकर अनशन की घोषणा कर दी है। अनशन के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भी अवगत करा दिया गया है। 

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद गंगा की अविरलता के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर 22 जून 2018 को हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में अनशन पर बैठे थे, लेकिन कई आश्वासन देने के बाद भी सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली। इस बीच उन्हें कई बार जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन स्वास्थ्य ठीक होने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। किंतु जल त्यागने के बाद जब जिला प्रशासन ने उन्हें दस अक्टूबर को तत्कालीन एसडीएम मनीष कुमार सिंह के नेतृत्व में मातृसदन से जबरन उठाकर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया तो, अगले ही दिन, यानी 11 अक्टूबर को अनशन के 112वें दिन स्वामी सानंद का निधन हो गया। जिसके बाद मातृसदन ने शासन और प्रशासन पर स्वामी सानंद की हत्या का आरोप लगाया।

स्वामी सानंद की मांगों के समर्थन आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए मातृसदन के बृह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर 2018 को अनशन पर बैठे। 4 मई को एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा के लिखित आश्रवासन पर आत्मबोधानंद ने 194वे दिन अनशन समाप्त कर दिया, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी मांग पूरी नहीं हुई। इसके बाद मातृसदन की साध्वी पद्मावती ने बीते जून माह में स्वामी निगमानंद की पुण्यतिथि पर अनशन की घोषणा की थी। जिसके संदर्भ में 22 नवंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग पूरी करने के लिए दस दिन का समय दिया गया था, लेकिन अभी तक मांग पूरी नहीं हुई। सरकार के इस रवैया से रुष्ठ होकर साध्वी पद्मावती 15 दिसंबर से गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन में अनशन/तपस्या करेंगी और ये पहला अवसर होगा, जब गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन के अनशन की बागडोर एक महिला के हाथ में होगी।

 
ये हैं प्रमुख मांग

  1. गंगा पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन समस्त बांधों को निरस्त किया जाए। विशेषकर सिंगोली भगवारी, फाटा ब्युंग, तपोवन विष्णुगाड़, विष्णुगाड़ पीपल कोटी को तत्काल निरस्त किया जाए।
  2. बने हुए बांधों को  IIT consortium के अनुसार ई-फ्लो दिया जाए और ये नियम हरिद्वार के भीमगोड़ा और नरोरा आदि बांधों पर भी लागू हो।
  3. गंगा पर खनन संबंधी नेशनल निशन फाॅर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के आदेश का अक्षरशः पालन किया जाए और इसके लिए नोटिफिकेशन जारी हो ताकि भ्रष्ट नेता और अधिकारी कालांतर में इसके साथ छेडछाड़ न कर सकें।
  4. गंगा के एक्ट के लिए एक विस्तृत चर्चा हो, जिसमें मातृसदन एवं अन्य गंगा समर्पित संस्था भी सम्मिलित रहें। इसके बाद ही इसे पार्लियामेंट में भेजा जाए।
  5. एनजीटी के न्यायाधीश राघवेंद्र राठोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और इस संबंध में मातृसदन के द्वारा प्रेषित समस्त पत्रों को संज्ञान में लेते हुए एक उच्च स्तरीय जांच बैठे।
  6. हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अबुदई किशन राज को निलंबित पर उन पर उच्च स्तरीय जांच बैठाई जाए। 

 

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