गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन के अंदोलन की बागड़ोर इस बार महिलाशक्ति के हाथों में है। मातृसदन में साध्वी पद्मावती पिछले 23 दिनों से अनशन/तप पर बैठी हैं। उनके अनशन के समर्थन में दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर के पर्यावरणप्रेमी और पर्यावरणविद मातृसदन में जुटे थे। सभी ने प्रदूषित होती गंगा नदी के प्रति चिंता व्यक्ति की। साथ ही गंगा और मातृसदन के अनशन को नजरअंदाज करने के सरकार के रवैया के प्रति आक्रोश व्यक्त किया। सभी ने गंगा और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया तथा आम जन से भी इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की।
हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृसदन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से गंगा की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। अभी तक मातृसदन के संतों द्वारा 60 से अधिक बार अनशन किया जा चुका है। कई अनशन सौ से अधिक दिनों तक चले, जबकि ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद वर्ष 2019 में 194 दिनों तक अनशन पर बैठे थे। गंगा की रक्षा के लिए स्वामी सानंद सहित मातृसदन के तीन संत अपने प्राणों को न्योछावर कर चुके हैं, लेकिन ये पहला अवसर है जब गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन में एक महिला (साध्वी पद्मावती) अनशन कर रही है। उनके समर्थन में जल बिरादरी के विभिन्न पर्यावरण प्रेमी जलपुरुष राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में रविवार को मातृसदन पहुंचे। इसके साथ ही राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, नेपाल सहित विभिन्न कोनो से भी पर्यावरणप्रेमी यहां पहुंचे। सभी ने बारी बारी गंगा, मातृसदन और सरकार के प्रति अपने विचार रखे। वक्ताओं के विचारों में सरकार की नीतियों के प्रति आक्रोश दिखा, तो वहीं गंगा की इस दुर्दशा पर आंसुओं के रूप में दर्द भी छलकता दिखा। किसी ने सरकार की भाषा में ही सरकार को जवाब देने की बात कही, तो किसी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर सरकार की बुद्धि में शुद्धता लाने के लिए कार्य करने की बात कही। वक्ताओं ने यहां तक कहा कि देश के अन्य संतों को भी गंगा की रक्षा के लिए जगाने का कार्य करना होगा। हालाकि इस दौरान सभी को ये डर भी सताता दिखा कि कहीं साध्वी पद्मावती का अनशन की सरकार के षडयंत्र की भेंट न चढ़ जाए। इसलिए उनके प्रति चिंता भी सभी के चेहरे पर दिखी।
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने माना कि सरकार गंगा रक्षा के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने की बात कहकर जनता के साथ छल कर रही है। हालाकि वक्ताओं ने ये माना कि सरकार गंगा पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही है, लेकिन ये रुपया गंगा स्वच्छता के लिए नहीं बल्कि बांधों आदि का निर्माण कर नदी के जल को बांधने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर सरकार को व्यापारी कहा। इस दौरान मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि एक समय था जब भारत विश्व गुरु था, लेकिन अब हम पिछड़ गए हैं। पहले गंगा के लिए स्वामी सानंद ने बलिदान दिया और अब साध्वी पद्मावती तप कर रही हैं, लेकिन हरिद्वार के संतों, शिक्षाविदों आदि ने गंगा संरक्षण से दूरी बनाए रखी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हर कोई अपने स्वार्थ के लिए गंगा का दोहन करने को तैयार है, लेकिन मां गंगा के हितों की किसी को परवाह नहीं। इस दौरान सभी ने दुनियाभर में प्रचार करने के लिए गंगाजल यात्रा निकालने का निर्णय लिया। साथ ही न्यायपालिका, सरकारों, राजनीतिक दलों और संयुक्त राष्ट्र से गंगा की निर्मलता के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील की।