जब विभाग का कर्मचारी बनेगा जंगल का चोर, तो जंगल कैसे बच पाएगा उत्तराखंड में जिला देहरादून के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में आये दिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले लोगो को पकड़ा जाता है कई बार कई अवैध देवदार लकड़ियों से भरे ट्रको को वन विभाग द्वारा पकड़ा गया लेकिन इस बार मामला विभाग के एक कर्मचारी के भ्रष्टाचार का है जो अपनी निगरानी में दिन दहाड़े देवदार के पेड़ो पर अपने सामने आरिया चलवाते हुए देखा गया।
आज हम आपको दिखाएंगे कुछ ऐसी तस्वीरें, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह फॉरेस्ट विभाग का कर्मचारी जंगल माफियाओं के साथ सांठगांठ करके हरे पेड़ों पर आरिया चलवा रहा है
जंगल की सुरक्षा के लिए जिस फारेस्ट गार्ड को रखा गया अगर वो ही अपनी निगरानी में हरे भरे पेड़ो पर आरिया चलवाएगा तो जंगल को कौन बचाएगा और लेकिन यहाँ एक सवाल और भी है की क्या फारेस्ट गार्ड अकेला ही इस भ्रष्टाचार में लिप्त है या उसके साथ कोई और विभागीय कर्मचारी भी सम्मिलित है आखिर चकराता वन प्रभाग को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी की उनका ही एक कर्मचारी वन माफियाओं को अवैध कटान के लिए सहयोग कर रहा है।
जगह के जंगल हो रहे साफ लेकिन विभाग के आला अधिकारी गहरी नींद में सो रहे हैं कही ऐसा तो नहीं की जंगल माफियाओं द्वारा कुछ हिस्सा उन्हें भी समय समय पर पहुंचाया जा रहा है ।
वैसे तो चकराता क्षेत्र में देवदार के हरे भरे पेड़ों पर आरिया चलने के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन ये मामला ऐसा है जिसमें विभाग का कर्मचारी ही जंगल को सुवाहा करने पे तुला है , मामला चकराता के कानासर रेंज के कुनैन बीट का है,जहां फॉरेस्ट गार्ड द्वारा अपने आप ही देवदार के पेड़ों को काटा और बेचा जा रहा है मामले का पता जब ग्राम सैंज के युवा लड़कों को लगा तो मौके में जाकर रोकने का प्रयास किया जाता है। लेकिन फॉरेस्ट गार्ड कहता है कि मैं इस बीट का मालिक हूं मैं लकड़ी काटू या बेचू तुम्हें कोई मतलब नहीं तुम कुछ भी करो यह मेरा अपना काम है ।
वही युवाओं का कहना है कि अगर इस तरीके से चलता रहा तो 1 दिन जंगल खत्म हो जाएगा और हम अपने जंगल में ऐसा नहीं होने देंगे अब ग्रामीणों द्वारा फॉरेस्ट गार्ड को सस्पेंड करके कार्यवाही करने की मांग की जा रही है। मामले को देखते हुए फिलहाल DFO चकराता ने जांच तो बिठाई है लेकिन सवाल ये है की इसका निष्कर्ष क्या निकलेगा।