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अमर उजाला, 18 दिसम्बर, 2018
रुद्रप्रयाग: सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के दावों के विपरीत पहाड़ों में लगातार हो रही बंजर भूमि के आँकड़े चौंकाने वाले हैं। एक दशक में अकेले रुद्रप्रयाग जिले में 1006.962 हेक्टेयर भूमि बंजर हो चुकी है। इसके पीछे गाँवों से पलायन और वन्य जीवों का आंतक एक बड़ी वजह बताया जा रहा है। इन परिस्थितियों में सरकार के सामने किसानों की आय बढ़ाना कठिन डगर पनघट से कम नहीं है।
राज्य गठन के बाद गाँवों में खेती को लेकर जो उम्मीदें जगी थीं। वे 18 सालों में साकार नहीं हो पाई हैं। बीते एक दशक में जिले के गाँवों से शुरू हुए पलायन ने खेती को हाशिए पर ला दिया है। बच्छणस्यूं पट्टी के कपलखील, ढिगणी, पणधारा, कलेथ, पौड़ीखाल, निषणी, नवासू, बंगोली, नौना, दानकोट, नौखू, गहड़ आदि गाँवों में 45 फीसदी खेती बंजर हो चुकी है।
जिला मुख्यालय से लगा बर्सू गाँव पलायन के कारण एक दशक पूर्व ही खाली हो चुका है। यहाँ हजारों नाली भूमि बंजर पड़ी है। जखोली तहसील में 607 हेक्टेयर से अधिक भूमि बंजर हो चुकी है। यहाँ ग्राम पंचायत कुनियाली, भटवाड़ी, जाखणी, देवल, मयाली सहित अन्य कई गाँवों में 50 से 85 फीसदी खेती युक्त भूमि खत्म हो चुकी है। बसुकेदार व ऊखीमठ तहसील क्षेत्र में भी 107 हेक्टेयर से अधिक भूमि बंजर हो गई है।
जिले में 20802.503 हेक्टेयर भूमि पर ही खेती हो रही है। जिसमें 2323.852 हेक्टेयर सिंचित व 18478.650 हेक्टेयर असिंचित है। लेकिन यहाँ भी बीते कई वर्षों से बन्दर और जंगली सुअर फसलों को तबाह कर रहे हैं। जिससे किसान खेती छोड़ रहे हैं। जिले में 3697 लघु व 1223 बड़े किसान हैं, जो खेती के सहारे किसी तरह आजीविका चला रहे हैं। दूसरी तरफ मोटे अनाज, मंडुवा, झंगोरा, गेहूँ, धान का बुवाई क्षेत्र भी घटा है। जिससे इनका उत्पादन भी कम हो रहा है। भले ही चौलाई ने काश्तकारों की आय में इजाफा किया है। मेदनपुर के प्रगतिशील काश्तकार लक्ष्मण सिंह सजवाण, जयमंडी के राकेश बिष्ट, नारायणकोटी के मुकेश लाल, टिमरिया के कपिल शर्मा का कहना है कि खेती को सुरक्षित करने के साथ ही काश्तकारों द्वारा उगाए जाने वाले उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने से आय बढ़ेगी। सरकार की ओर से दोगुनी आय के लिये शुरू की गई योजनाएँ अभी तक कहीं नजर नहीं आ रही है।
“खेती को सुधारने के साथ ही काश्तकारों को सब्जी, फल व फूलोत्पादन के लिये प्रेरित किया जा रहा है, जिससे चक्रीय फसल होती रहे। जहाँ वन्य जीवों का आतंक ज्यादा है, वहाँ जड़ी-बूटी व अन्य ऐसी फसलों की योजना है, जिन्हें जानवर नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। इस सम्बन्ध में उद्यान व कृषि विभाग के साथ-साथ काश्तकारों से सुझाव माँगे गए हैं” -एनएस रावत, मुख्य विकास अधिकारी रुद्रप्रयाग
राज्य गठन के बाद गाँवों में खेती को लेकर जो उम्मीदें जगी थीं। वे 18 सालों में साकार नहीं हो पाई हैं। बीते एक दशक में जिले के गाँवों से शुरू हुए पलायन ने खेती को हाशिए पर ला दिया है। बच्छणस्यूं पट्टी के कपलखील, ढिगणी, पणधारा, कलेथ, पौड़ीखाल, निषणी, नवासू, बंगोली, नौना, दानकोट, नौखू, गहड़ आदि गाँवों में 45 फीसदी खेती बंजर हो चुकी है।
जिला मुख्यालय से लगा बर्सू गाँव पलायन के कारण एक दशक पूर्व ही खाली हो चुका है। यहाँ हजारों नाली भूमि बंजर पड़ी है। जखोली तहसील में 607 हेक्टेयर से अधिक भूमि बंजर हो चुकी है। यहाँ ग्राम पंचायत कुनियाली, भटवाड़ी, जाखणी, देवल, मयाली सहित अन्य कई गाँवों में 50 से 85 फीसदी खेती युक्त भूमि खत्म हो चुकी है। बसुकेदार व ऊखीमठ तहसील क्षेत्र में भी 107 हेक्टेयर से अधिक भूमि बंजर हो गई है।
जिले में 20802.503 हेक्टेयर भूमि पर ही खेती हो रही है। जिसमें 2323.852 हेक्टेयर सिंचित व 18478.650 हेक्टेयर असिंचित है। लेकिन यहाँ भी बीते कई वर्षों से बन्दर और जंगली सुअर फसलों को तबाह कर रहे हैं। जिससे किसान खेती छोड़ रहे हैं। जिले में 3697 लघु व 1223 बड़े किसान हैं, जो खेती के सहारे किसी तरह आजीविका चला रहे हैं। दूसरी तरफ मोटे अनाज, मंडुवा, झंगोरा, गेहूँ, धान का बुवाई क्षेत्र भी घटा है। जिससे इनका उत्पादन भी कम हो रहा है। भले ही चौलाई ने काश्तकारों की आय में इजाफा किया है। मेदनपुर के प्रगतिशील काश्तकार लक्ष्मण सिंह सजवाण, जयमंडी के राकेश बिष्ट, नारायणकोटी के मुकेश लाल, टिमरिया के कपिल शर्मा का कहना है कि खेती को सुरक्षित करने के साथ ही काश्तकारों द्वारा उगाए जाने वाले उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने से आय बढ़ेगी। सरकार की ओर से दोगुनी आय के लिये शुरू की गई योजनाएँ अभी तक कहीं नजर नहीं आ रही है।
“खेती को सुधारने के साथ ही काश्तकारों को सब्जी, फल व फूलोत्पादन के लिये प्रेरित किया जा रहा है, जिससे चक्रीय फसल होती रहे। जहाँ वन्य जीवों का आतंक ज्यादा है, वहाँ जड़ी-बूटी व अन्य ऐसी फसलों की योजना है, जिन्हें जानवर नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। इस सम्बन्ध में उद्यान व कृषि विभाग के साथ-साथ काश्तकारों से सुझाव माँगे गए हैं” -एनएस रावत, मुख्य विकास अधिकारी रुद्रप्रयाग
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