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दैनिक जागरण, 17 जनवरी 2012
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : जीवनदायिनी गंगा को उनके वास्तविक स्वरूप में लाकर ही भारतीय संस्कृति की रक्षा की जा सकती है। इसके लिए हर इंसान को अपने स्तर से प्रयास करना होगा। सामूहिक प्रयास से ही गंगा प्रदूषण मुक्त होंगी। यह विचार गंगा सेवा अभियानम् के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को माघमेला क्षेत्र स्थित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिविर में भक्तों को संबोधित करते हुए कही।
शिविर में चल रही 'अविच्छिन्न गंगा सेवा तपस्या' के बारे में स्वामी जी ने कहा कि सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित तो कर दिया, परंतु उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इसको लेकर हमें खुद में जागरुकता लानी होगी। अगर हर इंसान एक घंटा गंगा को देने लगे तो काफी समस्या अपने आप ही दूर हो जाएगी। अन्न त्यागकर अविच्छिन्न तपस्या पर बैठे ज्ञानस्वरूप स्वामी सानंद ने कहा कि गंगा की वर्तमान स्थिति के लिए काफी हद तक हम स्वयं जिम्मेदार हैं। इसके लिए स्वयं के अंदर जागरुकता लानी होगी। अविच्छिन्न तपस्या के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के साथ उनके कर्तव्य का बोध कराना है।
शिविर में चल रही 'अविच्छिन्न गंगा सेवा तपस्या' के बारे में स्वामी जी ने कहा कि सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित तो कर दिया, परंतु उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इसको लेकर हमें खुद में जागरुकता लानी होगी। अगर हर इंसान एक घंटा गंगा को देने लगे तो काफी समस्या अपने आप ही दूर हो जाएगी। अन्न त्यागकर अविच्छिन्न तपस्या पर बैठे ज्ञानस्वरूप स्वामी सानंद ने कहा कि गंगा की वर्तमान स्थिति के लिए काफी हद तक हम स्वयं जिम्मेदार हैं। इसके लिए स्वयं के अंदर जागरुकता लानी होगी। अविच्छिन्न तपस्या के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के साथ उनके कर्तव्य का बोध कराना है।