घाघ बात अपने मन गुनहीं

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 09:17
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घाघ और भड्डरी

घाघ बात अपने मन गुनहीं,
ठाकुर भगत न मूसर धनुहीं।


भावार्थ- घाघ का मानना है कि जिस प्रकार मूसर (अनाज कूटने वाला उपकरण) झुककर धनुहीं नहीं बन सकता, ठीक उसी प्रकार ठाकुर कभी भगत नहीं बन सकता, न ही झुक सकता है।