वर्तमान समय में देशभर में अनेक जल विद्युत परियोजनाएँ विद्युत उत्पादन कर रही हैं,और सैकड़ों पर काम चल रहा है या प्रस्तावित है। एक अनुमान के अनुसार उत्तराखंड में ही 18,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से 120 मेगावाट की ब्यासी बांध जल विद्युत परियोजना भी शामिल है। ब्यासी बांध जल विद्युत परियोजना की अवधारणा को 70 के दशक में रेखांकित किया गया था तब उत्तराखंड उत्तरप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था
यमुना नदी पर निर्माणाधीन प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी जल विद्युत परियोजनाएँ से पूर्ण रूप से प्रभावित एकमात्र राजस्व गांव लोहारी लगभग पांच दशकों से अपने विस्थापन की बाट जोह रहा है,लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन एँव संबंधित विभाग द्वारा ग्रामीणों की उपेक्षा की जा रही है
ब्यासी जल विद्युत परियोजना का कार्य सन 2013 में पुर्ववर्ती काँग्रेस सरकार के शासन में प्रारंभ किया गया था,तब लोहारी गांव द्वारा एक समिति का गठन किया गया,यह समिति तत्कालीन काँग्रेस सरकार के पास अपने पुनर्वास,विस्थापन तथा रोजगार सम्बन्धी समस्याओं को लेकर गये थे,ग्रामीणों की माँग है कि उन्हें जमीन के बदले जमीन तथा प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाये,जिससे कि भविष्य में उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को विवश ना होना पड़े।
जमीन के बदले जमीन के लिए रेशम फ़ार्म विकासनागर जीवनगढ़ एँव अम्बाडी की जमीन को चिन्हित किया गया जिसे तत्कालीन काँग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत और गृहमंत्री प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में 3 जनवरी 2017 को कैबिनेट की बैठक की गई जिसमें कि रेशम फ़ार्म जीवनगढ़ की जमीन को लेकर प्रस्ताव पारित कर हरी झण्डी दे दी गई,लेकिन ग्राम लोहारी का दुर्भाग्य देखिए कि उसी दिन प्रदेश में चुनावी आचार संहिता की घोषणा हो जाती है जिससे कि कैबिनेट में पारित प्रस्ताव राज्यपाल की संस्तुति के लिए उन तक नहीं पहुँच पाता और वो प्रस्ताव (कानून) नहीं बन पाया जिस कारण ग्रामीणों की जमीन सम्बन्धी समस्या ज्यों की त्यों ही रह गयी,उसके बाद चुनाव में भाजपा द्वारा पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी जाती है तो ग्रामीणों के अंदर एक उम्मीद की किरण जागती है कि शायद इस सरकार में ग्रामीणों की जमीन की समस्या का समाधान हो जायेगा।
इसके बाद ग्राम लोहारी की समिति का एक प्रतिनिधिमंडल कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि तथा वर्तमान विधायक विकासनगर मुन्ना सिंह चौहान जी से मिला तथा विस्थापन सम्बन्धी समस्या को उनके सामने रखा लेकिन विधायक द्वारा हर बार सिर्फ आश्वासन ही दिया गया।
आज भाजपा सरकार के साढे चार(4.5) वर्ष पूर्ण होने के पश्चात भी ग्राम लोहारी के ग्रामीणों की विस्थापन सम्बन्धी समस्या जस की तस है।अब ग्रामीण कहते है कि पानी सर के उपर से गुजर चुका है जिस कारण ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट चुका है, विवश होकर ग्रामीणों को प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होना पड़ा।
ग्रामीणों द्वारा परियोजना स्थल जुड्डो में मातृ शक्ति तथा छोटे बच्चों को लेकर धरना प्रदर्शन की शुरुआत 5 जून 2021 से की गयी जिसमें ग्रामीणों द्वारा बांध के निर्माण कार्य को बंद करवा दिया गया,जिसकी सूचना मिलते हि SDM विकासनगर तथा MD Ujval आनन-फ़ानन में परियोजना स्थल पर पहुँचे परंतु उन्हें ग्रामीणों के रोष का सामना करने के पश्चात बैरंग वापस लौटना पडा, तत्पश्चात शासन द्वारा ADM वीर सिंह बुध्दियाल को धरना स्थल पर भेजा गया,उनको ग्रामीणों द्वारा समस्या के निस्तारण हेतु चार दिन का समय दिया गया किन्तु वो भी विफ़ल रहे, अतः विवश होकर ग्रामीणों को समस्या का कोई समाधान न होते हुए 21 जून 2021 को 2 घण्टे के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 507 को साँकेतिक रुप से बाधित करना पडा।
आज आंदोलन को 20 दिन पूर्ण हो चुके हैं किन्तु प्रदेश सरकार अभी भी कोई ठोस निर्णय लेने में असफल रही ।