सहंसरा नदी को मिला नया जीवन

Submitted by Shivendra on Sat, 09/10/2022 - 12:48

आज हमारी देश की नदियां मर रही हैं. प्रदूषण उनमें इतना बढ़ गया है कि वह ग्राउंड वाटर को भी प्रदूषित कर रहा है. खतरनाक केमिकल्स के कारण नदियां विषैली हो गई हैं. उससे होने वाली खेती आम लोगों के लिए मौत की दस्तक के समान है. हमने अपनी जीवनदाता नदियों का ही जीवन छीन लिया है. ऐसे में आज जरूरत है नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर लोगों में जागरूकता का दायरा बढ़ाया जाये। और इसी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए देश के कोने कोने से सहरानपुर पहुंचे कई पर्यावरण विद और एनजीओ (NGO)  एक बार फिर एक साथ एक मंच पर आए।  

ये है  हिमालयन इंस्टीट्यूट इकोलॉजी के संस्थापक उमर सैफ, उमर कई सालो से पश्चिमी उत्तरप्रदेश की विलुप्त हो रही नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे है। आज उनकी ये मेहनत रंग लाई और विलुप्त हो चुकी एक नदी को फिर से पुनर्जीवित करने पर कामयाबी हासिल की । 

35 किलोमीटर लम्बी  सहंसरा  नदी एक बार फिर अपने स्वरुप पर दिखी। इसके उद्गम स्थल से लेकर अंतिम बिंदु तक ऑक्सीजन की मात्र छह से 10 यूनिट तक पाई गई  । जिसे नदियों के लिए अच्छा माना जाता है।   लेकिन बरसात में नदियों में पानी होना सामान्य सी बात है। ऐसे में कैसे माना जाये की  सहंसरा नदी फिर जीवित हुई है। इन्हे सभी प्रश्नों का जवाब देने के लिए  उमर सैफ  ने  सहंसरा नदी का सोशल ऑडिट कराने का निर्णय  लिया। जल निगम ने  नदी के पानी की टेस्टिंग  कि जिससे यह पता लगाने  की कोशिश की गई वाकई में ये नदी का पानी है यह बारिश के पानी  का बहाव। अब तक निगम की और 15 जगहों से जो टेस्टिंग की गई है उसे ये बात पुख्ता हुई है कि नदी पुनर्जीवित  हुई है।  

सहंसरा नदी के पुनर्जीवित प्रमाण मिलने की सफलता के बाद  हिमालयन इंस्टीट्यूट इकोलॉजी ने इस नदी के पास  सहारनपुर के कोठरी बेलापुर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन  किया । इस कार्यक्रम में देशभर से कई पर्यावरण विद एनजीओ NGO और  स्थानीय लोग भी शामिल हुए। इस दौरान उमर और उनके साथ इस मिशन में लगातार सहयोग कर रही  सेंटर फॉर वाटर की टीम ने सहंसरा नदी को कैसे पुनर्जीवित किया उसकी पूरी तकनीकी जानकारी दी।  

तो वही  भविष्य में आने वाली पीढ़ी जल समस्या से प्रभावित न हो उसके लिए पर्यावरण विद संजय गुप्ता युवाओं  को अपने साथ जोड़ रहे है  संजय गुप्ता कहते है उनके संस्था  युवाओ को पानी से संबधित कई करियर कोर्स चला रही  है  ताकि  युवा इन  कोर्सेस को करके  पानी के महत्व को समझे और इसके संरक्षण के लिए बेहतर कदम उठा सके । जिससे भविष्य में पानी की समस्या से ना  जूझना पड़े। आज उमर सैफ की इस कामयाबी और नदियों के संरक्षण के लिए  कई पर्यवारण वीद और एनजीओ उनके साथ जुड़कर स्कूल, कॉलेजो  के छात्रों को पानी के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे है। ताकि उन्हें भविष्य में जल समस्या की चुनौतियों का सामना न करना पड़े ।  

उम्मीद है कि सहंसरा नदी के पुनर्जीवित करने का यह प्रयास पानी पर काम करने वाले सभी समाजिक कार्यकर्ता को प्रेणा देगा और वह भी उमर सैफ की तरह विलुप्त हो रही नदियों को पुनर्जीवित करने की अपने प्रयास से पीछे नहीं हटेंगे