प्रयागराज में मांडा ब्लॉक ये वही क्षेत्र है जहाँ से देश के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह थे इस क्षेत्र में जंगल पहाड़ मौजूद है यही पे मौजूद है एक छोटा सा नाला जिसको मुर्तियादह कहते है वही दूसरी तरफ एक और नाला है जिसको करनहवा नाला कहते है और तीसरी तरफ गुलरिया बाँध ये तीनो कुछ सफर तय करने के बाद एक हो जाते है और कर्णावती नदी में जाकर समा जाते है कर्णावती नदी करीब चालीस से पचास किलोमीटर आगे जाकर मिर्जापुर जनपद में छानबे ब्लॉक में विरोहि नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती है
गंगा की सहायक कर्णावती नदी को पुनर्जीवित करने को लेकर यूपी के मिर्जापुर जिले को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से मिर्जापुर को नार्थ जोन में तीसरा पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार नदियों के पुनर्जीवन श्रेणी में दिया गया है। विंध्य क्षेत्र में बहने वाली गंगा की सहायक कर्णावती नदी के पुनर्जीवन को लेकर तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल ने एक अभियान के तहत भगीरथ बनने का काम किया था। इसमें नगर रत्नाकार मिश्रा और क्षेत्र की जनता भी हिस्सा बनी।
पूरी तरह समाप्त हो चुकी कर्णावती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 2019 में एक अभियान चलाकर नदी को साफ किया गया था। इस दौरान जिलाधिकारी से लेकर विधायक तक सभी ने फावड़ा चलाया था। महीनों तक चले इस महाअभियान में सैकड़ों नागरिक हिस्सा बने थे।
कभी कर्णावती नदी के किनारे बसने वाले 19 गांवों के जीवनयापन का एकमात्र साधन थी, लेकिन बरसात कम होने के कारण धीरे-धीरे इसका स्वरूप समाप्त हो चला था तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस नदी को पुनर्जीवित करने का जो काम किया था वो सराहनीय था लेकिन अब दुबारा ये नदी फिर से सूखने के कगार पर है ग्रामीणों का कहना है की यहाँ जो चेक डैम बने थे उनमें से कई टूट चुके है जिससे पानी का सरंक्षण मुश्किल हो चूका है उन्होंने फिर से प्रशासन से गुहार लगाईं है की चेक डैम का निर्माण किया जाए और फिर से इस नदी को पुनर्जीवित किया जाये जैसे साल 2020 में किया था