देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी हुई शिफ्ट

Submitted by Shivendra on Mon, 08/16/2021 - 17:27
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रिपोर्ट अंकित तिवारी

कभी देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी  उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी में  स्‍थ‍ित थी। लेकिन मार्च 2020 में उसे  ड‍िनोट‍िफाई कर  गंगा नदी में ही प्रयागराज के कोठारी गांव में  मिर्जापुर और भदोही के 30 किलोमीटर के दायरे में शिफ्ट किया गया है। यानी  गंगा एक्‍शन प्‍लान के तहत 1989 में चिन्‍हित की गई सेंचुरी का  वाराणसी में कोई वजूद नही है 

वन विभाग के अध‍िकारियों के मुताबिक इस सेंचुरी का एक मैनेजमेंट प्‍लान बनाया गया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, देख रेख की व्‍यवस्‍था करना, अलग-अलग प्रजातियों के कछुओं को छोड़ने जैसी बातें शामिल  है। वन बिभाग के SDO रणवीर मिश्रा ने बताया कि  यहाँ करीब 460 कछुए  लखनऊ कुकरेल लैब से लाये गए है

कछुओं पर काम करने वाली उत्तरप्रदेश की विश्व  स्तरीय संस्था टर्टल सर्वाइवल अलायंस के उप निदेशक भास्कर दीक्षित ने बताया कि उनकी संस्था की एक बड़ी उपलब्धि ये रही कि  विश्व की सबसे प्रसिद्ध कछुए की प्रजाति  सबसे अधिक सरायू नदी में  मिली है। भास्कर दीक्षित ने आगे कहते है  कि कछुओ के लिए इस समय जो  जगह चिन्हित की गई है अगर वहाँ पर उनकी संस्था को  कछुओं  को संरक्षित करने के लिए बुलाया जाता तो वह जरूर कछुओ को संरक्षण देने  के लिये आगे आएंगे

कोठरी(kotari) गांव के घाट पर एक मंदिर बना हुआ है। मंदिर के पास ही पुजारी का घर है। यहां हमारी मुलाकात मंदिर के पुजारी से हुई   जिन्होंने बताया कि वन विभाग  अब तक  यहाँ कई कछुओ को ला चुका है जो  एक अच्छा निर्णय है जिससे गंगा का पानी साफ  होगा साथ ही  मंदिर भी सुरक्षित रहेगा|

वही कोठरी गाँव के एक ग्रामीण नागेश्वर बताते है कि यहां कछुआ संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के बावजूद  कई संख्या में मछवारे यहाँ मछली पकड़े आते है जिसके के कारण यहाँ संरक्षित किये जा रहे कछुओं  के लिए खतरा पैदा हो गया हैवाराणसी में कछुआ सेंचुरी की जगह  अब केंद्र सरकार 1620 किलोमीटर वाटरवेज योजना तैयार कर रही है जिसमें एक लंबी कैनाल खोदी जा रही  जिससे गंगा का पानी दो हिस्‍सों में बंट जाएगा। अगर कछुआ सेंचुरी  रहती तो   यह वाटरवेज योजना कभी नही बन पाती। ऐसे में प्रशासन को कछुओं को नए क्षेत्र में  वैसे ही संरक्षित करके रखना होगा जैसे वाराणसी कछुआ सेंचुरी में किया जाता था।