विश्वभर के कई देश पानी के संकट से जूझ रहे है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है जहाँ कई प्राकृतिक स्रोत सूख चुके है वही अब बेहद कई पुरानी नदिया भी या तो सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है या फिर सूख चुकी है आज हम उत्तर प्रदेश की ऐसी ही एक नदी की पौराणिक कहानी आपको बताने जा रहे है जिसके साथ न सिर्फ आस्था जुडी है बल्कि माँ गंगा की तरह ही ये भी हजारो लोगो के जीने का एक जरिया था इस नदी का नाम है ससुर खदेरी नदी जो भारत के उत्तर प्रदेश फतेहपुर जनपद के दोआब क्षेत्र में बहती है। वर्तमान समय में 'ससुर खदेरी' नदी मानव समाज की छेड़छाड़ का शिकार होक्रर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
इस नदी की जलधारा का बहाव बदल कर पड़ोसी गांवों के लोग रेत में खेती-किसानी करने लगे हैं। परिणामस्वरूप भारी भरकम नदी का असली रूप ही अब गायब हो गया है जिसकी वजह से अब आस पास के किसानो को पानी की समस्या हो रही है इस नदी का ये हाल अगर आज हुआ है तो इसके जिम्मेदार कही न कही आस पास के ग्रामीण भी है जिन्होंने इसका अतिक्रमन्द कर नदी के आस पास के क्षेत्र को खेतो में तब्दील कर दिया है इस नदी का उद्गम स्थल यहाँ के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के पीछे है जहाँ से इस' नदी का उद्गम हुआ है। नदी के उद्गम स्थान जगन्नाथ झील में अब झाड़-और घास-फूस उग आया है। लोगों में मान्यता है कि 'सतीत्व' के लिए चर्चित इस नदी का जलस्तर तभी घटा करता था, जब पास-पड़ोस के गांवों की महिलाएं झुंड में आरती और पूजा-अर्चना कर मान मनौव्वल करती थीं लेकिन, अब हालात ये है हैं कि भारी भरकम जलधारा सिमट कर नाले में बदल गई है और ये नाला भी अब तभी बहता है जब बरसात का मौसम आता है
ससुर खदेरी' नदी की प्रचलित किंवदन्ती के बारे में सेमरामानपुर गांव की बुजुर्ग महिला दुजिया के अनुसार सैकड़ों साल पहले यहाँ जगन्नाथ धाम का एक मंदिर था। गांव की एक बहू रोजाना तड़के झील में स्नान कर मंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ की पूजा करने जाया करती थी, उसका ससुर अपराधी किस्म का था एक दिन जब बहू मंदिर में भगवान की पूजा में व्यस्त थी, और उसके ससुसर ने उसकी अस्मत लूटना चाही। वह अपनी अस्मत बचाते हुए भागने लगी, उसका ससुर उसे खदेड़ता चला गया।
इस पुजारिन की रक्षा के लिए झील से एक तेज जलधारा निकली थी, जो ससुर-बहू के पीछे-पीछे बह रही थी। थक कर बहू ने कौशाम्बी ज़िले की सीमा में यमुना नदी में कूद कर जान दे दी। पीछे से बह रही जलधारा ने ससुर को भी यमुना में धकेल दिया, जिससे उसकी भी मौत हो गई थी। तभी से लोग इस नदी को 'ससुर खदेरी' नदी के नाम से पुकारने लगे ग्रामीणों के मुताबिक़, दो दशक पहले तक इस नदी की जलधारा बहुत चौड़ी थी और बरसात में आई बाढ़ से कई गांव प्रभावित हुआ करते थे, आरोप ये भी है की अब पड़ोसी गांव के दबंग किसान नदी की जलधारा को बदल दिए हैं और तहलटी के टीलों को जेसीबी मशीन के जरिए रेत में मिलाकर खेती-किसानी कर रहे हैं जबकि पहले लोग नदी को सती का दर्जा देकर पूजा-अर्चना किया करते थे एक और ख़ास बात ये भी है की जिस जगह ये नदी है वही से बीजेपी के कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्या भी चुनाव लड़ते है तो इसलिए जरूरी है की नेता जी अपनी इस धरोहर की रक्षा के लिए कुछ उचित कदम उठाये और इस नदी को दुबारा पुनर्जीवित करने का प्रयास करे ताकि फिर से इस नदी का अस्तित्व बचाया जा सके