प्रयागराज के मेजा तहसील के अंतर्गत आने वाले नरवरचौकठ, उमापुर, डेंगुरपुर सहित तमाम जगहों के लोग कई दशकों से गंगा नदी पर हो रहे कटान से खासे प्रभावित हुए है। जिसके लिए ये लोग पिछले 2 वर्षों से सरकार से उचित मुआवाज़े की मांग को लेकर आंदोलित है। गांव के लोगों का कहना है कि हर साल नदी में जल स्तर बढ़ जाने के कारण गंगा किनारे कटान होने लगता है जिससे उनके गांव का 80 प्रतिशत भू- भाग नदी में समाहित हो चुका है। यह कटान पिछले कई दशकों से चली आ रही है लेकिन अभी तक किसी भी सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिये कोई कारगार कदम नही उठाया है ।
नरवरचौकठ के गांव रहने वाले राम सुमेर बताते है कि गंगा नदी में कटान के कारण उनकी कृषि बुरी तरह प्रभावित हुई है । उनके सारे खेत गंगा में समा गए है जिससें उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। नरवरचौकठ गांव की दूसरे तमाम प्रभावित गांव के मुकाबले स्तिथि गंभीर है। यहाँ ऐसा कोई परिवार नही बचा है। जिसने अपनी जमीन और घर गवांया नही होगा। आर्थिक संकट से जूझ रहे गाँव के लोगों को अब सरकार से बेहतर मुहवाज़े की आस है। जिसके लिए वह पिछले 2 साल से आंदोलन कर रहे है ।
गंगा नदी किनार कटान से जहाँ गांव के लगभग सभी घरों को क्षति पहुँची है वही अब इसका खतरा स्कूलों में मंडरा रहा है क्योंकि यह प्राइमरी और माध्यमिक स्कूल गंगा नदी के किनारे 100 मीटर और 200 मीटर पर स्थित है । इस समस्या को लेकर ग्रामीणों ने विधानसभा कूच के अलावा जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत से भी मिल चुके है। लेकिन जब इन सबके बावजूद उनकी बात नहीं सुनी गई तो अब उन्होंने इस लड़ाई को अनशन से जितने का मन बना लिया है ।
उचित मुआवजे को लेकर पिछले 2 साल से ग्रामीणों ने जो संघर्ष किया है उसने उन्हें दिमागी तौर पर मजबूत किया है उनके इस आन्दोलन से कई संस्था भी उन से जुड़ी रही है साथ ही गांव से जो लगातार पलायान हो रहा है उस पर भी कमी आई है । लोगों और गैर सरकारी संस्थानों के मिल रहे सहयोग से ग्रामीणों के हौसले बुलंद हुए और उन्हें विश्वास हो रहा कि उनका संघर्ष बेकार नही जाएगा।