जल संरक्षण को लेकर हरियाणा सरकार ने एक बड़े प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है। जिसकी नींव मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वयं रखी ।सुजल के नाम से यह प्रोजेक्ट वाटर सप्लाई मैनेजमेंट की दिशा में हरियाणा सरकार की तरफ से एक नई पहल है। हरियाणा सरकार ने फिलहाल पंचकूला में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी नींव रखी है अगर इसमें बेहतर नतीजे आते हैं तो वह इसे पूरे प्रदेश में लागू करेंगे ।
कैसे करेगा प्रोजेक्ट काम
जल संरक्षण को लेकर सबसे बड़ा प्रोजेक्ट का दावा करने वाला हरियाणा शहरी प्राधिकरण इसके काम करने के तरीके को कुछ इस तरह साझा किया। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण मुताबिक हर एक पेयजल के मीटर ट्यूबवेल कनेक्शन में एक उपकरण लगाया जाएगा जिसमें ऑनलाइन क्लाउड स्टोरेज होगी इसकी सहायता से पानी की सप्लाई की मॉनिटरिंग की जाएगी और पानी के बहाव को भी बचाया जाएगा। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण केंद्र आने वाले हर घर में वह हर घर मे व हर कमर्शियल साइट पर पानी की सप्लाई को मापना आसान हो जाएगा।
इसे यह भी पता लग जाएगा कि किस का कनेक्शन है और किसका निष्क्रिय हो गया है। ताकि निष्क्रिय वाले कनेक्शन को बंद किया जाए। यह सारी जानकारी एक डेशबोर्ड उपलब्ध की जाएगी ताकि अधिकारियों को समय-समय पर पानी की स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके।वहीं विभाग की ओर से यह भी दावा किया गया है कि इससे सबसे बड़ी समस्या यानी अवैध कनेक्श पूरी तरह से बंद हो जाएंगे ऐसे में पानी की बचत होगी। और प्राधिकरण को लोगों से जुर्माना वसूल करने में आसानी हो जाएगी।
इसके अलावा, शोधित जल का उपयोग पार्कों व ग्रीन बेल्ट्स में 14 एमएलडी से बढ़कर 30 एमएलडी तक एक ही वर्ष में हो जाएगा। इस उपकरण की सहायता से करीब 70 प्रतिशत श्रम की बचत होगी। जिससे एक साल में लगभग 4.7 करोड़ रुपयों की बचत की जाएगी।हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पंचकूला में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अलग-अलग स्रोतों से प्रति दिन 162.5 मिलियन लीटर पानी का प्रयोग होता है। इस उपकरण जे द्वारा यह आंकड़ा एक साल में ही घट कर 105 मिलियन लीटर प्रतिदिन रह जाएगा।इन सब फायदों के अलावा इस टेक्नोलॉजी से हमें वित्तीय लाभ भी मिलेगा ।
आज के वक्त में 680 लाख लीटर भूजल का प्रयोग एक दिन में सप्लाई किया जाता है।सुजल-पहल द्वारा एक ही साल में यह आंकड़ा गिर कर 5 एमएलडी हो जाएगा और इस आंकड़े के मुताबिक लगभग 92 प्रतिशत तक भूजल का बचाया जा सकेगा, जिससे तकरीबन 22.9 करोड़ रुपयों की बचत होगी। बिजली की भी एक साल में लगभग 31 प्रतिशत तक बचत होगी और इसके परिणामस्वरूप बिजली के बिल में लगभग 12.99 करोड़ रुपयों की बचत होगी।