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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 5 मार्च 2015
ऑस्ट्रेलिया में पर्यावरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अखिलेश यादव का सार्वजनिक मंचों से साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने में दूरदर्शी कदम है, जिससे सार्वजनिक जीवन में छोटी दूरी के कार्यों के लिए साइकिल का प्रयोग जोर-शोर से बढ़ाया जा सके, जो न केवल पर्यावरण सुधार और फिटनेस बनाए रखने के लिहाज से बल्कि गम्भीर ट्रैफिक समस्या से भी निजात दिलाने में मदद करेगा।गम्भीर ऊर्जा संकट को देखते हुए सूबे की अखिलेश सरकार का वैकल्पिक ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने वाले कदम बड़े महत्व के हैं। इस वर्ष फरवरी के शुरुआत में उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के करहरकला गाँव में अब तक के सबसे बड़े 10 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लाण्ट की स्थापना करना इनमें से एक है। 15 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष क्षमता वाले इस प्लाण्ट की शुरुआत से यूपी सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी जिलों में ऐसे प्लाण्ट स्थापित करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया। इस कदम के अतिरिक्त महानगरों में जैव ईन्धन से चलने वाली ग्रीन बसों का संचालन शुरू करना पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी पहल है। एथेनाल से चलने वाली ये बसें स्वीडन द्वारा निर्मित हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता है।
प्रत्येक शहर में एक बस संचालित करने की शुरुआती योजना वाली ग्रीन बसों का संचालन प्रयोग के तौर पर उन महानगरों में किया जा रहा है, जहाँ नगर बस सेवा संचालित हैं। इन बसों के प्रयोग से जहाँ एक ओर पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रित करने में मदद मिलेगी, वहीं डीजल एवं पेट्रोल की खपत में कमी आएगी। उत्तर प्रदेश में एथेनाल की पर्याप्त उपलब्धता से इस प्रयोग के आसानी से सफल होने की सम्भावना है।
वर्ष 2012 में यूपी में सरकार गठन के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर नीति के माध्यम से पर्यावरण संकट के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया था। सूबे के मुखिया का पिछले तीन वर्षों से लगातार वैकल्पिक उर्जा स्रोतों पर निर्भरता को बढ़ावा देने का कार्य सराहनीय है। साथ ही अनेक उपायों से पर्यावरण संकट को कम करने का सार्थक प्रयास भी प्रशंसनीय है।
ऑस्ट्रेलिया में पर्यावरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अखिलेश यादव का सार्वजनिक मंचों से साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने में दूरदर्शी कदम है, जिससे सार्वजनिक जीवन में छोटी दूरी के कार्यों के लिए साइकिल का प्रयोग जोर-शोर से बढ़ाया जा सके, जो न केवल पर्यावरण सुधार और फिटनेस बनाए रखने के लिहाज से बल्कि गम्भीर ट्रैफिक समस्या से भी निजात दिलाने में मदद करेगा।
इसी को ध्यान में रखकर पिछले वर्ष 10 नवम्बर को प्रदेश सरकार ने साइकिल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत फैसला लिया। इसके अन्तर्गत सभी मेट्रो शहरों में साइकिल ट्रैक बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। लाल रंग के इस साइकिल ट्रैक में डेनमार्क-नीदरलैण्ड के सफल मॉडल के आधार पर यहाँ ट्रैफिक मॉडल बनाया जा रहा है। सरकार ने साइकिल ट्रैक के तहत डिजाइन और ले-आउट के अनुसार जारी नियमों के अनुरूप नियमावली और निर्देशिका भी जारी की है। जनवरी में नीदरलैण्ड के आधिकारिक टीम ने इस मॉडल का परीक्षण कर इसे चालू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। प्रदेश के लखनऊ और नोएडा में ये साइकिल ट्रैक बन चुके हैं और राजधानी में इसकी मुकम्मल शुरुआत भी हो गई है।
बीते दिनों युवा मुख्यमन्त्री का लखनऊ में साइकिल ट्रैक का उद्घाटन करना राजधानी को वैश्विक स्तर के अनुकूल बनाने की नीति का प्रमुख अंग है, जिसके तहत साइकिलिंग को लोकप्रिय बनाने हेतु लखनऊ में 12 जनवरी को गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में 10,793.70 लाख से वेलोड्रम स्टेडियम के निर्माण की कार्यवाही शुरू की गई। अन्तरराष्ट्रीय सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे वाला यह उत्तर प्रदेश का पहला इण्डोर स्टेडियम होगा, जिसमें आठ साइकिल ट्रैक होंगे। देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमन्त्री का सार्वजनिक जीवन में प्रयोग होने वाले वाहन से गहरा जुड़ाव लोकतन्त्र में जड़ों से जुड़े रहने का अच्छा उदाहरण है।
पिछले वर्ष टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट के रोचक अध्ययन में दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में घने कोहरे के पीछे एकमात्र दोषी प्रदूषण खासकर वाहनों से निकलने वाले धुएँ को पाया गया।पिछले वर्ष टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट के रोचक अध्ययन में दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में घने कोहरे के पीछे एकमात्र दोषी प्रदूषण खासकर वाहनों से निकलने वाले धुएँ को पाया गया। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम यूनेप की ताजा रिपोर्ट के अनुसार शहरों की रोशनी धुँधलाने लगी है। सूरज से आती रोशनी छन रही है। रुक रही है। यही नहीं हिमालय की शोभा बढ़ाते ग्लेशियर पिघल कर बौने हो रहे हैं। जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन की मात्रा में कटौती हो रही है। ऐसे में ग्रीनहाउस गैसों में कमी के लिए साइकिल के प्रयोग जैसी पहल को बेहद लोकप्रिय बनाये जाने की विशेष जरूरत है।
इको-फ्रेण्डली की दिशा में बढ़ते हुए अखिलेश यादव ने मुख्यमन्त्री कार्यालय में पेपरलेस नीति शुरू की है, जिससे कार्यालय के सभी काम कम्प्यूटर पर ही हो और पेपर की बचत करने की दिशा में गम्भीर हुआ जा सके। बहुत दिन नहीं हुए जब बड़े ऊर्जा संकट की वजह से सरकार पर प्रदेश के नागरिकों का दबाव बढ़ रहा था। केंद्र सरकार द्वारा बिजली की कम आपूर्ति और प्रदेश में भारी खपत की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। ऐसे में एक ही विकल्प वैकल्पिक ऊर्जा साधनों पर निर्भरता बढ़ाने की विशेष जरूरत महसूस की गई।
सोलर ऊर्जा के प्रति गाँवों में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से लोहिया ग्रामीण आवास योजना के तहत प्रत्येक घर को सोलर लाइट उपलब्ध कराने के साथ ही किसानों को सिंचाई हेतु सोलर पम्प के लिए पचास फीसदी छूट की व्यवस्था पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने का ठोस कार्य है, जिससे आने वाले समय में ग्रामीण स्तर पर बिजली कटौती से होने वाले संकट के प्रभाव को कम किया जा सके। इस शुरुआत को धीरे-धीरे व्यापक स्तर पर बढ़ाए जाने की विशेष जरूरत है।
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकारों को विभिन्न उपायों से जनता को सतत जागरूक किया जाना अनिवार्य हो गया है, जिससे आने वाली पीढि़यों के प्रति हमारा रवैया प्रकृति के सन्दर्भ में जिम्मेदार हो सके।
लेखक का ई-मेल : rahulblp88@gmail.com
प्रत्येक शहर में एक बस संचालित करने की शुरुआती योजना वाली ग्रीन बसों का संचालन प्रयोग के तौर पर उन महानगरों में किया जा रहा है, जहाँ नगर बस सेवा संचालित हैं। इन बसों के प्रयोग से जहाँ एक ओर पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रित करने में मदद मिलेगी, वहीं डीजल एवं पेट्रोल की खपत में कमी आएगी। उत्तर प्रदेश में एथेनाल की पर्याप्त उपलब्धता से इस प्रयोग के आसानी से सफल होने की सम्भावना है।
वर्ष 2012 में यूपी में सरकार गठन के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर नीति के माध्यम से पर्यावरण संकट के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया था। सूबे के मुखिया का पिछले तीन वर्षों से लगातार वैकल्पिक उर्जा स्रोतों पर निर्भरता को बढ़ावा देने का कार्य सराहनीय है। साथ ही अनेक उपायों से पर्यावरण संकट को कम करने का सार्थक प्रयास भी प्रशंसनीय है।
ऑस्ट्रेलिया में पर्यावरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अखिलेश यादव का सार्वजनिक मंचों से साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने में दूरदर्शी कदम है, जिससे सार्वजनिक जीवन में छोटी दूरी के कार्यों के लिए साइकिल का प्रयोग जोर-शोर से बढ़ाया जा सके, जो न केवल पर्यावरण सुधार और फिटनेस बनाए रखने के लिहाज से बल्कि गम्भीर ट्रैफिक समस्या से भी निजात दिलाने में मदद करेगा।
इसी को ध्यान में रखकर पिछले वर्ष 10 नवम्बर को प्रदेश सरकार ने साइकिल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत फैसला लिया। इसके अन्तर्गत सभी मेट्रो शहरों में साइकिल ट्रैक बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। लाल रंग के इस साइकिल ट्रैक में डेनमार्क-नीदरलैण्ड के सफल मॉडल के आधार पर यहाँ ट्रैफिक मॉडल बनाया जा रहा है। सरकार ने साइकिल ट्रैक के तहत डिजाइन और ले-आउट के अनुसार जारी नियमों के अनुरूप नियमावली और निर्देशिका भी जारी की है। जनवरी में नीदरलैण्ड के आधिकारिक टीम ने इस मॉडल का परीक्षण कर इसे चालू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। प्रदेश के लखनऊ और नोएडा में ये साइकिल ट्रैक बन चुके हैं और राजधानी में इसकी मुकम्मल शुरुआत भी हो गई है।
बीते दिनों युवा मुख्यमन्त्री का लखनऊ में साइकिल ट्रैक का उद्घाटन करना राजधानी को वैश्विक स्तर के अनुकूल बनाने की नीति का प्रमुख अंग है, जिसके तहत साइकिलिंग को लोकप्रिय बनाने हेतु लखनऊ में 12 जनवरी को गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में 10,793.70 लाख से वेलोड्रम स्टेडियम के निर्माण की कार्यवाही शुरू की गई। अन्तरराष्ट्रीय सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे वाला यह उत्तर प्रदेश का पहला इण्डोर स्टेडियम होगा, जिसमें आठ साइकिल ट्रैक होंगे। देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमन्त्री का सार्वजनिक जीवन में प्रयोग होने वाले वाहन से गहरा जुड़ाव लोकतन्त्र में जड़ों से जुड़े रहने का अच्छा उदाहरण है।
पिछले वर्ष टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट के रोचक अध्ययन में दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में घने कोहरे के पीछे एकमात्र दोषी प्रदूषण खासकर वाहनों से निकलने वाले धुएँ को पाया गया।पिछले वर्ष टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट के रोचक अध्ययन में दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में घने कोहरे के पीछे एकमात्र दोषी प्रदूषण खासकर वाहनों से निकलने वाले धुएँ को पाया गया। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम यूनेप की ताजा रिपोर्ट के अनुसार शहरों की रोशनी धुँधलाने लगी है। सूरज से आती रोशनी छन रही है। रुक रही है। यही नहीं हिमालय की शोभा बढ़ाते ग्लेशियर पिघल कर बौने हो रहे हैं। जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन की मात्रा में कटौती हो रही है। ऐसे में ग्रीनहाउस गैसों में कमी के लिए साइकिल के प्रयोग जैसी पहल को बेहद लोकप्रिय बनाये जाने की विशेष जरूरत है।
इको-फ्रेण्डली की दिशा में बढ़ते हुए अखिलेश यादव ने मुख्यमन्त्री कार्यालय में पेपरलेस नीति शुरू की है, जिससे कार्यालय के सभी काम कम्प्यूटर पर ही हो और पेपर की बचत करने की दिशा में गम्भीर हुआ जा सके। बहुत दिन नहीं हुए जब बड़े ऊर्जा संकट की वजह से सरकार पर प्रदेश के नागरिकों का दबाव बढ़ रहा था। केंद्र सरकार द्वारा बिजली की कम आपूर्ति और प्रदेश में भारी खपत की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। ऐसे में एक ही विकल्प वैकल्पिक ऊर्जा साधनों पर निर्भरता बढ़ाने की विशेष जरूरत महसूस की गई।
सोलर ऊर्जा के प्रति गाँवों में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से लोहिया ग्रामीण आवास योजना के तहत प्रत्येक घर को सोलर लाइट उपलब्ध कराने के साथ ही किसानों को सिंचाई हेतु सोलर पम्प के लिए पचास फीसदी छूट की व्यवस्था पारिस्थितिकी सन्तुलन बनाए रखने का ठोस कार्य है, जिससे आने वाले समय में ग्रामीण स्तर पर बिजली कटौती से होने वाले संकट के प्रभाव को कम किया जा सके। इस शुरुआत को धीरे-धीरे व्यापक स्तर पर बढ़ाए जाने की विशेष जरूरत है।
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकारों को विभिन्न उपायों से जनता को सतत जागरूक किया जाना अनिवार्य हो गया है, जिससे आने वाली पीढि़यों के प्रति हमारा रवैया प्रकृति के सन्दर्भ में जिम्मेदार हो सके।
लेखक का ई-मेल : rahulblp88@gmail.com