इंटरवेंशन क्या है और इंटरवेंशन का प्रयोग कैसे किया जाता है

Submitted by admin on Fri, 02/14/2014 - 13:13
Author
प्रेमविजय पाटिल

इंटरवेंशन एक कार्यविधि है जिसके माध्यम से किसी रोग की प्रक्रिया को बीच में रोकना या हस्तक्षेप करना संभव होता है, ताकि रोगी उस रोग से पूरी तरह ठीक हो सके। फ्लोरोसिस के संदर्भ में, रोगी को इस रोग से ठीक होने के लिए दो इंटरवेंशनों का प्रयोग में लाना आवश्यक है।
 

ये 2 इंटरवेंशन क्या हैं?


इंटरवेंशन 1: प्रथम इंटरवेंशन फ्लोराइड के स्रोत ( जो जल, आहार/औद्योगिक उत्सर्जन/दवाओं से हो अथवा दंत उत्पादों से हो) को प्रयोग में न लाना है। शरीर में फ्लोराइड का प्रवेश रोकना एक इंटरवेंशन है।

 

रोगी को इंटरवेंशन 1 से क्या फायदा होना संभावित है?


रोग का और आगे बढ़ना रुक जाएगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि यदि किसी रोगी को रीढ़ की हड्डी, घुटनों, गर्दन या कंधों के जोड़ में दर्द रहता था, तो उसमें और कठोरता, कड़ापन नहीं आएगा या उसका चलना-फिरना बंद नहीं होगा; बल्कि जैसे-जैसे दिन गुजरते जाएंगे, उसका दर्द कम होता जाएगा। यदि रोगी को कंकाल-फ्लोरोसिस के बजाए अ-कंकालीय फ्लोरोसिस से संबंधित शिकायतें रहीं हो तो ब्रण-रहित अग्निमंदता या बहुमूत्रता या अतिपिपासा (पोलीडिपसिया) आदि जैसी शिकायतें 10-12 दिनों के अंदर गायब हो जाएंगी।

इंटरवेंशन 2: द्वितीय इंटरवेंशन क्षतिग्रस्त ऊतकों का सुधार एवं रख-रखाव पर ध्यान करना है। यह आहार में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, आयरन, विटामिन ‘सी’, ‘ई’ एवं अन्य प्रति-उपचयक (एंटीऑक्सीडेंट्स) की संपूरकता से पूर्ण किया जा सकता है। पोषक तत्वों की संपूरकता आहार के माध्यम से, न कि भेषजीय उत्पादों (दवाओं) से।

 

 

 

इंटरवेंशन


1. ऐसा आहार/जल ग्रहण करना जिसमें फ्लोराइड यथासंभव कम-से-कम हो, किंतु निर्धारित मात्रा से अधिक न हो।
2. ऐसा भोजन ग्रहण करना जिसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन ‘सी’, ‘ई’ एवं अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में हों।

 

 

 

रोगी को इंटरवेंशन 2 से क्या फायदा होना संभावित है?


1. जब आहार स्रोतों के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में पोषक-तत्वों को उपभोग में लाया जाता है तो विष द्वारा हुई संरचनात्मक क्षति का सुधार एवं रख-रखाव प्रारंभ हो जाएगा।

2. एन्जाइम अपना कार्य करना पुनः शुरू कर देंगे और चयापचय संबंधी क्रियाएं सामान्य तरीके से होने लगेंगी।

3. यदि हार्मोन संबंधी कोई असंतुलन, अपर्याप्ताएं हुई हैं, तो वे काफी हद तक ठीक हो जाएंगी तथा बहुमूत्रता एवं अतिपिपासा जैसी स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें दूर हो जाएंगी।

4. एंटीऑक्सीडेंट्स, जब पर्याप्त मात्रा में लेते हैं तो यह सुनिश्चित होगा कि अयुक्त-मूलकों (फ्री-रेडीकल्स) के क्षतिकारक प्रभाव का मुकाबला किया जाता है, क्योंकि प्रति-उपचयक ऑक्सीकृत दबाव के कारण उत्पन्न अयुक्त-मूलकों को रक्त-धारा से उन्मूलित करने में स्केवेंजर की तरह कार्य करता है। इस प्रकार के इंटरवेंशन के द्वारा फ्लोरोसिस से पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं और ‘स्वस्थ होने’ का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

5. 3-4 सप्ताह में खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा में बढ़ जाएगी और यह स्वास्थ्य में सुधार का बहुत अच्छा संकेत है।

इंटरवेंशन 1 और 2 का एक दशक से फ्लोराइड के रोगियों के फील्ड में परीक्षण किया गया है। फ्लोराइड विषाक्तता के कारण विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित स्थानिक क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को फायदा पहुंचाने के लिए फ्लोराइड के निदान को संस्थागत बनाने तथा इंटरवेंशनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है। सुरक्षित पेयजल कैसे प्राप्त करें:

1. यदि पीने के पानी में फ्लोराइड 1.0 mg/L से अधिक है तो उसे हटाया जा सकता है और पानी को ‘‘सुरक्षित’’ बनाया जा सकता है। भारत में पेयजल का फ्लोराइड संदूषण 48.0 mg/L तक होने का पता लगाया है।

2. फ्लोराइड हटाने के लिए कुछ सरल विधियों का देशी तरीके से विकास किया गया है। ये विधियां हैं - (1) एक्टीवेटेड एलुमिना प्रौद्योगिकी (2) नालगोंडा प्रौद्योगिकी।

3. जल उपचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए, डॉक्टर द्वारा रोगी को जल आपूर्ति एजेंसी/जिले के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में संपर्क करने की सलाह दिए जाने की आवश्यकता है। लोक स्वास्थ्य इंजीनियरों को इसके बारे में जानकारी होती है और वे परिवार को इसके बारे में सहायता करेंगे कि फ्लोराइड हटाने के लिए किस प्रकार पानी का उपचार करना है। वे विभिन्न प्रकार के घरेलू फिल्टरों का विकल्प भी चुन सकते हैं, जिनका मानकीकरण एवं निर्माण विशेष व्यावसायिक एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है।

 

 

 

आहार परामर्श क्या है:


रोगियों को यह परामर्श देना कि फ्लोराइडयुक्त पानी, भोजन, दंत-उत्पाद और दवाएं प्रयोग करने से बचें तथा आवश्यक पोषक-तत्वों को ध्यान में रखकर ग्रहण किए जाने वाले आहार में आवश्यक सुधार लाना।

 

 

 

कौन-सी ऐसी चीजें हैं, जिनमें फ्लोराइड अधिक मात्रा में होता है?


खाद्य-पदार्थ: काली चाय एवं नींबू वाली चाय (दूध के साथ चाय सुरक्षित है); काला चट्टानी नमक (काला नमक); काला नमक डला अचार, गरम मसाला, नमक वाले स्नेक्स, चाट एवं चाट मसाला, डिब्बाबंद फलों के जूस, डिब्बाबंद मछली फ्लोराइड संदूषित जल; तम्बाकू चबाना, सुपारी व ‘हाजमोला’ एवं अन्य ‘चूरन’ जिनमें रॉक साल्ट हो।

दवाएं: अवसाद कम करने की दवाएं जैसे - साइटालोप्रम, प्रोजेक एवं पेरेक्सेटाइन 1. फ्लोरोक्विनोलोन्स एवं 2. कोलेस्ट्रॉल-रोधी दवाइयां 3. सोडियम फ्लोराइड स्वयं भी अस्थिमृदुता एवं अस्थिसुशिरता के लिए दी जाती है 4. एनेस्थेटिक अभिकारक 5. कुछ होम्योपैथी दवाओं में फ्लोराइड रहता है।

दंत उत्पाद: 1. फ्लोरीडेटेड टूथपेस्ट 2. माउथ रिन्स 3. वार्निश एवं 4. सोडियम फ्लोराइड की गोलियाँ।

 

 

 

2. आवष्यक पोषक-तत्वों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आहार में सुधार लाना:


फ्लोरोसिस के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए आवश्यक पोषक-तत्वों से परिपूर्ण आहार महत्वपूर्ण चीज है। पोषक-आहार में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि सब्जियों, फलों और दुग्ध-उत्पादों के माध्यम से कैल्शियम, आयरन, विटामिन ‘सी’, ‘ई’ एवं अन्य प्रति ऑक्सीकारकों का पर्याप्त मात्रा में अंतर्ग्रहण होना चाहिए।

 

 

 

कैल्शियम से भरपूर चीजें:


(1) दुग्ध, (2) दही, (3) गुड़, (4) हरी पत्तेदार सब्जियाँ, (5) तिल, (6) चीज/पनीर, (7) कमल-ककड़ी (सब्जी), (8) अरबी (सब्जी), (9) चुलाई की साग, (10) जीरा, (11) सहजन, (मुनगा) की फलियां एवं पत्तियाँ, (सब्जी) (12) सोया उत्पाद, (13) ब्रोकोली आदि।

 

 

 

लौह-तत्व (आयरन) से भरपूर चीजें:


(1) चुकंदर (2) सेव फल (3) कच्चा एवं पका हुआ केला, (4) भटा आदि।

 

 

 

विटामिन ‘सी’ से भरपूर चीजें:


(1) आँवला, (2) अमरूद (बिही), (3) नींबू/संतरे, (4) टमाटर, (5) धनिया की पत्तियां, (6) दालें आदि।

 

 

 

विटामिन ‘ई’ से भरपूर चीजें:


(1) वनस्पति तेल, (2) सूखी गिरी (बादाम, मूंगफली), (3) साबुत अनाज़, (4) हरी पत्तेदार सब्जियाँ, (5) सूखी फलियां आदि।

 

 

 

प्रतिऑक्सीकारकों (एंटीऑक्सीडेंट्स) से भरपूर सब्जियाँ और फल:


(1) पपीता, (2) गाजर, (3) कद्दू (कुम्हड़ा), (4) पालक एवं अन्य पत्तेदार सब्जियाँ, (5) लहसुन, (6) हरी प्याज, (7) गंदना (लीक), (8) मिर्ची, (9) पीपर, (10) सेब, (11) चेरी फल, (12) संतरे, (13) अदरक आदि।

यदि प्रतिदिन के आहार के माध्यम से उपर्युक्त चीजें खाई जाती हैं, तो फ्लोरोसिस को पूर्णतः रोका और नियंत्रित किया जा सकता है, इसके अलावा यह रोग दुबारा नहीं होगा।