फ्लोरोसिस का कारण क्या है

Submitted by admin on Thu, 02/13/2014 - 11:26
Author
प्रेमविजय पाटिल

1. फ्लोरोसिस रोग शरीर में (अ) फ्लोराइड, (ब) फ्लोरीन एवं/अथवा (स) हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल के अतिरेक मात्रा में प्रवेश के कारण होता है।

2. फ्लोराइड अधिकांशतः पीने के पानी एवं भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

3. फ्लोरीन एवं हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल औद्योगिक-स्थलों से श्वसन/अंतर्ग्रहण के माध्यम से भी शरीर में प्रविष्ट हो सकते हैं, जहां पर ये रसायन प्रयोग में लाए जाते हैं और कार्य करने वाले व्यक्ति कार्य के दौरान इनके संपर्क में आते हैं।

4. फ्लोरीन एवं फ्लोराइड, फ्लोरीडेटेड दंत उत्पादों (फ्लोरीडेटेड टूथपेस्ट, माउथ रिन्सेज, गोलियां) तथा फ्लोरीनयुक्त दवाओं के प्रयोग से भी शरीर में प्रविष्ट हो सकता है।

शरीर में फ्लोराइड के प्रवेश के विभिन्न स्रोतों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि किसी रोगी की विगत समय की जानकारी प्राप्त करने के समय कुछ विशेष तथ्यों को सुनिश्चित कर लिया जाए:

1. पेयजल का स्रोत: हैण्डपंपों, ट्यूबवेलों एवं खुले कुओं से लिया गया उपचारविहीन भूमिगत जल की जानकारी अभिलिखित की जाए तथा पेयजल की जानकारी एकत्र की जाए एवं फ्लोराइड की जाँच की जाए।

2. रोगी का व्यवसाय: क्या वह पुरुष/महिला किसी औद्योगिक प्रतिष्ठान (संगठित/असंगठित क्षेत्र/कुटीर उद्योग) में कार्य करता है।

3. आदतें/व्यसन: क्या किसी विशिष्ट कारण से कोई विशेष दवा (उदाहरणार्थ

(1) अवसादरोधी यानी एण्टीडिप्रेसेण्टस
(2) ओटोस्कलेरोसिस के लिए अथवा
(3) ओस्टियोपोरोसिस के लिए सोडियम फ्लोराइड
(4) कोलेस्ट्रॉल-रोधी दवाएँ आदि) लम्बे समय से लेने की आदत हो।

4. भोजन संबंधी आदतें/व्यसन: क्या खाने में कुछ खास चीजों/पेय-पदार्थों के आदी हैं, जैसे-
(1) रॉक साल्ट (काला नामक) डालकर बनाए गए स्नेक्स, अचार या अन्य कोई ऐसी चीजें
(2) काली चाय (बिना दूध की)/नींबू डली चाय, सुपारी/तम्बाकू चबाना आदि।
यदि उच्च फ्लोराइड के उपर्युक्त स्रोतों (1-4) का सेवन किया जाता है तो शारीरिक द्रवों एवं पेयजल में फ्लोराइड का परीक्षण करके इसका पता लगाया जा सकता है।