फ्लोरोसिस : स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं

Submitted by admin on Thu, 02/13/2014 - 14:43
Author
प्रेमविजय पाटिल

फ्लोरोसिस रोग तीन रूपों में होता है:


1. दाँत संबंधी फ्लोरोसिस दंत फ्लोरोसिस बच्चों के साथ स्थाई दाँतों को प्रभावित करता है, जिसमें 8 वर्ष की आयु के बाद बच्चों के दाँतों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले विवर्णता (Discoloration) आ जाती है।

2. अ-कंकालीय फ्लोरोसिस अ-कंकालीय फ्लोरोसिस इसका शरीर के सभी कोमल तंतुओं, अंगों एवं प्रणालियों पर अवश्य प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न प्रकार की शिकायतें होती हैं।

3. कंकालीय फ्लोरोसिस कंकालीय फ्लोरोसिस यह शरीर की अस्थियों एवं जोड़ों को प्रभावित करता है, जैसे - (1) गर्दन (2) पीठ (3) पृष्ठ भाग (4) कंधे एवं (5) घुटनों के जोड़।

फ्लोरोसिस के सभी 3 रूपों में चिकित्सक/दंत चिकित्सक को विभेदकारी रोग निदान करना आवश्यक होता है, क्योंकि शिकायतें अन्य रोगों के लक्षणों से मिलती-जुलती हो सकती हैं। इस भाग में केवल दंत फ्लोरोसिस पर चर्चा की गई है। दाँत संबंधी अन्य विकृतियों से दंत फ्लोरोसिस के विभेदकारी रोगी निदान के बारे में भी विचार किया गया है।

 

दंत फ्लोरोसिस का ब्यौरा


नीचे दी गई जानकारी दंत-चिकित्सक के अलावा बाल रोग चिकित्सक, अंतःस्राव विशेषज्ञ (एंडोक्रायनोलॉजिस्ट) एवं जठरांत्र विशेषज्ञ के लिए मूल्यवान होगी। किसी रोगी के दाँतों को देखने केवल किसी दंत-चिकित्सक का ही कार्य नहीं माना जाना चाहिए। दाँतों की विवर्णता (Discoloration), डॉक्टर को बच्चे के दांतों को देखना चाहिए, वह रोगी की बीमारी के बारे में संदेह करने/उसके सार्थक निदान पर पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है।

1. दंत फ्लोरोसिस किसी बच्चे के दाँतों पर प्रभाव डालता है, किसी वयस्क व्यक्ति के नहीं। किसी वयस्क व्यक्ति में दंत फ्लोरोसिस दिख सकता है और इसका अर्थ होगा कि वह पुरुष/महिला अपने शुरुआती बचपन में उच्च फ्लोराइड के संपर्क में रहा था/थी।

2. दाँतों के कीटाणु प्रारंभिक विकास की अवस्थाओं के दौरान एम्ब्रियों में विकसित होते हैं। यदि माता, भाग-1 में उल्लिखित उच्च फ्लोराइड के स्रोतों में से किसी के संपर्क में हो, तो बच्चे में दंत फ्लोरोसिस का विकास हो जाएगा और एनेमेल की सतह पर नंगी आंखों से विवर्णता (Discoloration) दिखाई देगी। दाँतों पर विवर्णता 8 वर्ष और उससे अधिक आयु होने पर स्थाई दाँतों पर बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देगी।

3. दंत फ्लोरोसिस में विवर्णता (Discoloration) एनेमेल की सतह पर दिखाई देती है।

दंत फ्लोरोसिस की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं। विवर्णता (Discoloration) जैसे कि:

आड़ी रेखाएं (कभी भी खड़ी नहीं होतीं)
दाँत देखने में चाक जैसे सफेद रंग के दिखाई देंगे
विवर्णता रेखाओं या बिंदुओं में दिखती है।
मसूड़ों से दूर एनेमेल सतह पर
दाँतों में जोड़े से दिखती हैं (कभी भी एक दाँत में नहीं)

विवर्णता निम्न प्रकार से देखी जा सकती है:

सफेद दाँतों पर सफेद धब्बे
सफेद दाँतों पर पीला रंग (धब्बे या धारियाँ)
सफेद / पीले दाँतों पर भूरा रंग (धब्बे या धारियाँ)
सफेद / पीले दाँतों पर काला रंग (धब्बे या धारियाँ)

दंत फ्लोरोसिस की विविध प्रोफाइलों को निम्नलिखित 5 चित्रों में दर्शाया गया है:

सामान्य दाँत
प्रथम श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
तृतीय श्रेणी
चतुर्थ श्रेणी

 

दाँत की अंतःसंरचना को क्षति:


दाँतों का रंग उड़ने या खराब होने यानी विवर्णता के अलावा, दाँतों की अंतःसंरचना में दरारों व फटने के अतिरिक्त दाँतों में गड्ढे और छिद्र हो जाते हैं। ये परिवर्तन प्रारंभिक अवस्थाओं में नंगी आंखों से दिखाई नहीं देती हैं। परंतु किसी सूक्ष्मदर्शी को उच्च आवर्धन (Higher Magnification) में रखकर दाँतों की अंतःसंरचना को हुई क्षति को देखा जा सकता है। यह स्थापित हो गया है कि संरचना संबंधी ये विकृतियाँ फ्लोराइड के जमाव के कारण होती हैं, जिसके बाद कैल्शियम का क्षरण होता है। निर्धारित कोलेजन मेट्रिक्स संरचात्मक एवं जैव-रासायनिक दृष्टि से दोषपूर्ण होता है जिसके परिणामस्वरूप अल्प-खनिजन (हाइपोमिनरलाइजेशन) होता है। इस प्रकार, दाँत बहुत कमजोर हो जाता है और उसमें से खिपची या चिप निकल जाती है।

 

दंत क्षरण से दंत फ्लोरोसिस का विभेदकारी निदान


1. दंत-क्षरण बैक्टीरियाजनित विकार है।

2. दंत-क्षरण दाँतों की विवर्णता यानी दाँतों के प्राकृतिक रंग के खराब होने के रूप में भी अभिव्यक्त होती है, किंतु दंत फ्लोरोसिस में ऐसा नहीं होता, दंत-क्षरण में विवर्णता भूरे रंग की और बिना किसी सुनिश्चित आकार के हो सकती है।

3. दंत फ्लोरोसिस के विपरीत, दंत-क्षरण में दाँतों में अंदर खाली जगह अर्थात केविटी बन जाती है, जिन्हें खाली आँखों से भी देखा जा सकता है। बैक्टीरिया द्वारा जो अम्ल (एसिड) बनाए जाते हैं, वह दाँतों को चबा डालेगा; बाद में केवल दाँतों की जगह का खाली स्थान बचा रहेगा। दंत-क्षरण में जो केविटीज दो दाँतों के बीच में अथवा क्राउन के आधार के पास, मंसूड़ों से लगकर जहां टूथ ब्रश नहीं पहुँचता है और भोजन के कण वहां जमा हो जाते हैं, जिससे बैक्टीरिया जनन-क्रिया करते हैं और अम्ल बनाते हैं।

4. दाँतों का एक प्रारूपी सैट जिसमें दंत-क्षरण को दिखाया गया है, विशेष टीप: केविटीज को ठीक करने में दाँतों की बहुत थोड़ी भूमिका होती है, इसके अलावा कि यह बैक्टीरिया मार सकता है, ताकि अम्ल का निर्माण न हो। यही फ्लोराइड टिश्यू एन्जाइम्स को अधिक नुकसान पहुँचाता है और इस तरह उनकी सतह को रोगग्रस्त बनाता है। दंत-क्षरण की रोकथाम के लिए फ्लोराइड को प्रयोग करना पुराने समय की और नैतिक दृष्टि से गलत धारणा है।

 

गंदे दाँतों से ‘दंत फ्लोरोसिस’ का विभेदकारी रोग निदान


1. गंदे दातों में सभी रंगों की विवर्णता (Discoloration) होगी, किंतु विवर्णता मसूढ़ों के साथ-साथ होगी, दाँतों के एनेमेल की सतह पर नहीं।
2. दंत चिकित्सक द्वारा गंदे दाँतों की सफाई कर पॉलिश किया जा सकता है।
3. नीचे चित्र में एक बच्चे को दिखाया गया है, उसके ऊपरी जबड़े के दाँतों में से बीच के दो कृन्तक दाँतों में एनेमेल सतह पर आड़ी रैखिक विवर्णता है, जो मसूढ़ों से दूर हैं। यह दंत फ्लोरोसिस के कारण है और दाँतों की स्थाई विशेषता है।
4. जबकि नीचे के जबड़े के दाँतों में मसूढ़ों के साथ-साथ विवर्णता (Discoloration) है जो गंदे दाँतों की वजह से है, जिसे किसी दंत चिकित्सक द्वारा साफ किया जा सकता है।

 

दंत फ्लोरोसिस की रोकथाम


1. रोगियों को फ्लोराइडयुक्त पानी, भोजन, दवाओं (एलोपैथी या होम्योपैथी) का सेवन न करने की सलाह दी जानी चाहिए और फ्लोरीडेटेड दंत उत्पादों का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
2. रोगियों के लिए इसके बारे में भी सचेत किया जाना चाहिए कि बच्चों के डिब्बा बंद आहार के कुछ ब्रांडों में काफी अधिक मात्रा में फ्लोराइडयुक्त होता है और यदि फ्लोराइड से दूषित पानी में उन्हें पुनर्निर्मित किया जाता है तो उस शिशु द्वारा फ्लोराइड का अंतर्ग्रहण अधिक होगा। बच्चों के आहार के लेवल की जाँच करना आवश्यक है।
3. गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को भी फ्लोराइड-दूषित भोजन एवं पानी का उपभोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि माँ के दूध में अधिक मात्रा में फ्लोराइड होगा, जो शिशु के लिए नुकसानदेह है।

 

दंत-क्षरण की रोकथाम:


बच्चों में दंत-क्षरण की रोकथाम के लिए एक 6-सूत्रीय कार्य योजना की अनुशंसा की जाती है।

1. दंत-क्षरण के बारे में माताओं में जागरूकता लाना एवं सचेत करना (अर्थात् यह एक बैक्टीरियाजनित रोग है ; बैक्टीरिया अस्वास्थ्यकर मुखीय वातावरण में जन्म लेते हैं और अम्लों का निर्माण करते हैं, अम्ल दाँतों को नष्ट करते हैं और उनके कारण से केविटीज बनती हैं।)

2. बच्चे को सलाह देना कि किस प्रकार अपने दाँतों की देखभाल करें और यह भी सिखाएं कि किस प्रकार से ब्रश करें। माँ को अपने बच्चे को ‘‘मोती- जैसे सुंदर दाँतों’’ के बारे में बताना चाहिए।

3. पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, विटामिन ‘सी’, ‘ई’ एवं अन्य एण्टीऑक्सीडेंट्स वाले ऐसे पोषणयुक्त आहार का उपभोग करने की आवश्यकता और उसके गुणों पर बल देना (अधिक विवरण भाग 5 में: आहार संबंधी परामर्श - फ्लोरोसिस की रोकथाम के लिए इंटरवेन्शन उपाय प्रयोग करना।)

4. गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था एवं स्तनपान के दौरान आहारीय स्रोतों के माध्यम से कैल्शियम एवं विटामिन ‘सी’ की अतिरिक्त आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बनाना ताकि बढ़ता हुआ भ्रूण/शिशु/बच्चे के अच्छे/मजबूत दाँत हों और दंत-क्षरण का खतरा कम हो।

5. बच्चों को बहुत अधिक मिठाइयाँ/ चाकलेट/ चिपकने वाले कार्बोहाइड्रेट, जिससे बैक्टीरिया की वृद्धि अधिक हो, खाने के लिए नहीं देने चाहिए।

6. हर बार भोजन के बाद दाँतों/मुँह को कुल्ला कर साफ करने के बारे में बच्चों को प्रशिक्षित करना। पेस्ट के साथ और उसके बिना दाँतों का ब्रश करना/ अथवा दाँतों एवं मसूढ़ों के बीच खाने के जो कण चिपके रह जाते हैं, उन्हें हटाने के लिए सोने जाने के पूर्व फ्लोसिंग की आदत डालना।

 

गंदे दाँतों की रोकथाम:


1. दाँतों के विभिन्न भागों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दाँतों को सही तरीके से ब्रश करना महत्वपूर्ण है। बच्चा नरम ब्रश का उपयोग कर सकता है।
2. भोजन करने के बाद मुंह को कुल्ला कर साफ करना भी महत्वपूर्ण है।
3. सोने जाने के पहले दाँतों को ब्रश करना महत्वपूर्ण है। यह जरूरी नहीं कि हर बार पेस्ट का प्रयोग करें। बिना पेस्ट के भी ब्रश कर सकते हैं।
4. जो लोग पान, सुपारी, तम्बाकू चबाते हैं, धूम्रपान करते हैं, बहुत अधिक कॉफी या चाय पीते हैं, उनके मसूढ़ों के किनारे/अथवा दाँतों पर स्टेन या गंदगी रह सकती हैं, जिसे ब्रश करके साफ किया जा सकता है। यदि वह गंदगी या मैल को हटाना बहुत मुश्किल हो तो किसी दंत क्लिीनिक जाएं। दंत-चिकित्सक इसका सही उपचार करेगा और आपके दाँत साफ और चमकते हुए नजर आएंगे।