जिन बाराँ रवि संक्रमै

Submitted by Hindi on Fri, 03/26/2010 - 09:37
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घाघ और भड्डरी

जिन बाराँ रवि संक्रमै, तासों चौथे बार।
असुभ परंती सुभ करै, जोसी जोतिस सार।।


भावार्थ- जिस दिन सूर्य की संक्रांति हो और उसका चौथा दिन अशुभ हो, तो फलशुभ होगा। यही भड्डरी ज्योतिषी के अनुसार ज्योतिष का सार है।