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शिवमपूर्णा
जल धरती पर अमृत है इसका पूरा सम्मान करो।
जल की एक बूँद का भी तुम कभी नहीं अपमान करो।
कितना भी हो हरा भरा जीवन गुलाब सा खिल जाये।
जीवन की सारी शोभा सुगंध भी तुमको मिल जाये।।
चमक दमक वैभव की पाकर वैभव में ही नहीं फूलो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।
जल का वह उपयोग करो गंदा नाला नहीं बन जाये।
जल जीवन का प्राण -स्रोत है कभी नहीं यह तरसाये।।
जल का संरक्षण करके जग-जीवन को परिपुष्ट करो।
जीवन -रक्षक जल से मूक प्राणियों को संतुष्ट करो।।
ऊँचे पेड़ों पर चढ़, कर चंदा तारो को नहीं छू लो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।
अगर प्रकृति क्रोधित होकर अपनी सीमायें लाँघेगी।
तब जल की हर एक बूँद अपना हिसाब भी माँगेगी।।
कामधेनु गोमाता सी हर नदी जगत की माता है।
स्वच्छ नीर का सरवर ही जीवन का भाग्य-विधाता है।।
जल ही अपना जीवन है केवल सपनों मे नहीं झूलो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।
जल की एक बूँद का भी तुम कभी नहीं अपमान करो।
कितना भी हो हरा भरा जीवन गुलाब सा खिल जाये।
जीवन की सारी शोभा सुगंध भी तुमको मिल जाये।।
चमक दमक वैभव की पाकर वैभव में ही नहीं फूलो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।
जल का वह उपयोग करो गंदा नाला नहीं बन जाये।
जल जीवन का प्राण -स्रोत है कभी नहीं यह तरसाये।।
जल का संरक्षण करके जग-जीवन को परिपुष्ट करो।
जीवन -रक्षक जल से मूक प्राणियों को संतुष्ट करो।।
ऊँचे पेड़ों पर चढ़, कर चंदा तारो को नहीं छू लो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।
अगर प्रकृति क्रोधित होकर अपनी सीमायें लाँघेगी।
तब जल की हर एक बूँद अपना हिसाब भी माँगेगी।।
कामधेनु गोमाता सी हर नदी जगत की माता है।
स्वच्छ नीर का सरवर ही जीवन का भाग्य-विधाता है।।
जल ही अपना जीवन है केवल सपनों मे नहीं झूलो।
बरसाती मौसम में भी जल की कीमत को नहीं भूलो।।