जल-स्प्रिंग पर जलापूर्ति हेतु कई गॉंव के लोग निर्भर हैं। इसलिए यह आकलन भी आवश्यक है कि किसानों की पेयजल, गृह कार्यो, पशु पेयजल तथा सिंचाई की मॉंग हेतु कितने जल भण्डारण की आवश्यकता होगी। इस दृष्टि से प्रतिमाह जल की मॉंग के अनुरूप कम से कम जल-स्प्रिंग-1 व जल-स्प्रिंग-2 के लिए क्रमशः 694.79 तथा 184.9 घन मी0 क्षमता के टैंक या टैंक-समूहों की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार इन जल-स्प्रिंगों के लिए जल की मॉंग व न्यूनतम आवश्यक संचय क्षमता के बीच निम्नवत् सम्बन्ध पाये गये-
जल-स्प्रिंग-1:
स = 188.38 म - 873.11
जल-स्प्रिंग-2:
स = 190.61 म - 1517.7
जहॉं स- न्यूनतम आवश्यक संचय (घन मी0) तथा म- औसत मासिक मॉग (घन मी0/दिन) है। यहॉं उल्लेखनीय है कि मनुष्यों की पेयजल तथा गृह कार्यो में आवश्यकता हेतु पक्का टैंक बनाया जाना चाहिए, तथा अन्य आवश्यकता पूर्ति हेतु पॉलीथीन युक्त टैंक पर्याप्त होगें। इसी प्रकार वानस्पतिक एवं यांत्रिक विधियों को पर्वतीय क्षेत्रों के अन्य जल-स्प्रिंग पर भी किये जाने चाहिए तॉकि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी जल श्रोतों का निरन्तर विकास हो तथा पेय जलापूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति हो सके। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के उपरान्त ही विकास की अन्य योजनाओं का कार्यान्वयन एवं लाभ सार्थक होगा।
जल-स्प्रिंग-1:
स = 188.38 म - 873.11
जल-स्प्रिंग-2:
स = 190.61 म - 1517.7
जहॉं स- न्यूनतम आवश्यक संचय (घन मी0) तथा म- औसत मासिक मॉग (घन मी0/दिन) है। यहॉं उल्लेखनीय है कि मनुष्यों की पेयजल तथा गृह कार्यो में आवश्यकता हेतु पक्का टैंक बनाया जाना चाहिए, तथा अन्य आवश्यकता पूर्ति हेतु पॉलीथीन युक्त टैंक पर्याप्त होगें। इसी प्रकार वानस्पतिक एवं यांत्रिक विधियों को पर्वतीय क्षेत्रों के अन्य जल-स्प्रिंग पर भी किये जाने चाहिए तॉकि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी जल श्रोतों का निरन्तर विकास हो तथा पेय जलापूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति हो सके। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के उपरान्त ही विकास की अन्य योजनाओं का कार्यान्वयन एवं लाभ सार्थक होगा।