पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ जल है, जिससे पृथ्वी का 70 प्रतिशत् भाग ढका है। कुल जल की मात्रा का 97.3 प्रतिशत (135 करोड़ घन किमी0) सागर और महासागर के रूप में तथा 2.7 प्रतिशत (2.8 करोड़ घन किमी0) बर्फ से ढका है। इसके अतिरिक्त 7.7 घन किमी0 जल भूमिगत है।
जल केवल जीवन के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि मानव के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए भी अत्यावश्यक है। कृषि कार्यो में जल की अत्यधिक मात्रा प्रयोग होती है।
सिंचाई की शुरूआत प्रारम्भिक युग में मेसोपोटामिया (ईराक) में 4000 वर्ष ईसा पूर्व, तथा नील नदी की घाटी में 3400 वर्ष ईसा पूर्व हुई। तदोपरान्त 200 वर्ष ईसा पूर्व में चीन में सिंचाई का आरम्भ हुआ। आधुनिक काल में सिंधु घाटी के क्षेत्र भारत व पाकिस्तान में लगभग 90 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है, तथा अमेरिका की इम्पीरियल घाटी में लगभग 20 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल का सूक्ष्म भाग ही मानव जीवन के लिए उपयोगी है। भारत में नदी तंत्रों में कुल अपवाह की मात्रा 1645 अरब घन मी0 है। भारत के एक तिहाई भौगोलिक क्षेत्र की जल की आवश्यकता पूर्ति सिन्धु, गंगा व ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा की जाती है। गंगा जलागम से देश की कुल नदियों का 28 प्रतिशत जल आता है, जिसमें देश का 26 प्रतिशत क्षेत्रफल है, जबकि ब्रह्मपुत्र जलागम से कुल 38 प्रतिशत जल आता है, परन्तु केवल 6 प्रतिशत क्षेत्रफल इसके अंतर्गत है। गंगा जलागम विश्व का सबसे घनी आबादी तथा सघन खेती वाला क्षेत्र है।