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सर्वोदय प्रेस सर्विस, सितंबर 2012
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अंतरिम निर्णय में इंदिरा सागर बांध से बेदखल होने वालों के लिए भी जमीन के बदले जमीन के सिद्धांत को स्वीकार कर इस संबंध में मध्यप्रदेश शासन को निर्देश भी दिए हैं। लेकिन शासन, प्रशासन एवं कंपनी की हठधर्मिता के चलते इस आदेश का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
इंदौर। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर एवं इंदिरा सागर बांध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले एवं पुनर्वास नीति की अवहेलना करते हुए जलस्तर बढ़ाए जाने के बाद ओंकारेश्वर बांध क्षेत्र स्थित घोघलगांव में नर्मदा बचाओ आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता चित्तरूपा पालित के नेतृत्व में 34 बांध प्रभावित जलसत्याग्रह हेतु विगत 25 अगस्त से पानी में प्रवेश कर गए हैं। पिछले सप्ताह भर से लगातार पानी में रहने की वजह से सत्याग्रहियों के अंग खासकर पैरों का गलना प्रारंभ हो गया है।गौरतलब है कि शासकीय कंपनी एनएचडीसी पिछले कई वर्षों से विद्युत उत्पादन प्रारंभ कर चुकी है और इस दौरान उसने सैकड़ों करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ भी कमाया है। लेकिन वह पुनर्वास नीति के अनिवार्य प्रावधान कि परिवार के वयस्क सदस्य को जमीन के बदले जमीन दे, का पालन नहीं कर रही है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अंतरिम निर्णय में इंदिरा सागर बांध से बेदखल होने वालों के लिए भी जमीन के बदले जमीन के सिद्धांत को स्वीकार कर इस संबंध में मध्यप्रदेश शासन को निर्देश भी दिए हैं।

उक्त अपील नर्मदा बचाओ आंदोलन एवं विथापितों की ओर से सर्वश्री आलोक अग्रवाल, राधेश्याम तिरोल, सकुबाई एवं राधाबाई द्वारा जारी की गई है।