जलयोजन (Hydration)

Submitted by Hindi on Thu, 05/05/2011 - 11:16
अनाच्छादन का एक प्रक्रम जिसके द्वारा शैलों का संपर्क जल से होने पर शैलों का वियोजन होता है और वे टूटते लगती हैं। शैलें जल को सोख लेती हैं जिससे उनके आयतन में वृद्धि हो जाती है और उनके खनिजों तथा कणों में तनाव उत्पन्न होता है जिससे शैलें फैलकर टूटने लगती हैं। शैलों के क्रमिक रूप से नम होने तथा सूखने की दशा में वे वियोजित होती हैं और टूटने लगती हैं।
जल योजन की क्रिया मृत्तिका में विशेषरूप से प्रभावशाली होती है जिसके कारण वह छोटे-छोटे टुकड़े एवं कणों में टूट जाती है। जलयोजन द्वारा कुछ खनिजों के गुण में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरणार्थ, फेल्सपार खनिज का रूपांतरण केओलिन मृत्तिका (केओलिनाइट) के रूप में हो जाता है। जलयोजन क्रिया का प्रभाव आग्नेय शैलों पर भी अधिक होता है जिससे वे टूटकर बिखर जाती हैं।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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