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ग्रीनपीस

जिस पेड़ पर ब्रिकेश अपना घर बनाकर रह रहे हैं वह तडोबा-अंधारी बाघ संरक्षण क्षेत्र के बफर जोन में स्थित है। यह पेड़ इस बात का प्रतीक है कि इन हरे-भरे जंगलों का विनाश अब दूर नहीं है।इस पेड़ के एक तरफ कोयला पावर प्लांट दिखता है तो दूसरी तरफ इस अभ्यारण के खूबसूरत जंगल। इस पेड़ के नीचे ढेर सारा कोयला छुपा हुआ है। फिलहाल यह खनन गतिविधियों से दूर है। अगर यहां खनन शुरू हुआ तो निश्चित तौर पर इससे यहां के हरे-भरे क्षेत्र, वन्य जीवों और इन जंगलों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर समुदाय को गंभीर नुकसान उठाना पड़ेगा।

हमारी सरकार इस साल अक्टूबर में (यूएन कन्वेनेशन ऑन बायोडायवर्सिटी, सीबीडी) यानी संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन का आयोजन कर रही है। यह स्वयं में बेहद हास्यास्पद है कि एक तरफ तो सरकार अपने देश में बचे-खुचे जंगलों की भी बलि देने को तैयार है और वहीं दूसरी तरफ जैव विविधता संरक्षण के लिए सम्मेलन का आयोजन कर रही है।

ग्रीनपीस की मांग है कि कोयला घोटाले की जांच पूरी होने तक प्रधानमंत्री को सभी नए कोयला ब्लॉकों के आवंटन और खदानों की मंजूरी पर रोक लगा देनी चाहिए तथा जिस वन क्षेत्र में खनन नहीं किया जाएगा उसका सही-सही सीमांकन किया जाना चाहिए। अगर ग्रीनपीस द्वारा जंगल बचाने की इस मुहिम में आप उसके साथ हैं तो http://www.junglistan.org/actलिंक पर क्लिक करके याचिका पर हस्ताक्षर कीजिए।
