वैसे तो सरकारें शौचालय मुक्त होने का तमाम दावे करती है लेकिन हकीकत इसके उल्ट होती है। कुछ ऐसा ही मामला उत्तराखंड में भी है जहाँ 31 मई 2017 को राज्य सरकार द्वारा प्रदेश को खुले में शौच से मुक्ति की घोषणा की गई थी। लेकिन हालाहि में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन प्लस {UDISE+} की 2019- 20 रिपोर्ट के अनुसार , राज्य में 1000 से अधिक ऐसे स्कूल है जहाँ अभी तक शौचालय की सुविधा नहीं है।
भारत सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षारता विभाग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि उत्तराखंड के कुल 23,295 विद्यालयों में से 5.02% यानी 1,170 स्कूलों में शौचालय नहीं है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि राज्य के 9.05% स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जबकि पीने के पानी की सुविधा वाले 2109 स्कूलों में से तकरीबन 18,00 स्कूल ऐसे है जिन्हें सरकार द्वारा संचालित किया जाता है।देश के शिक्षा मंत्री रहे रमेश पोखरियाल (निशंक) ने मार्च में राज्यसभा मे एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी कि देश के 42,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, जबकि 15,000 से अधिक स्कूलों में शौचालय नहीं हैं
वही उत्तराखंड के स्कूलों ने स्वच्छता पर अच्छा प्रदर्शन किया है, राज्य के 93 प्रतिशत स्कूल ऐसे है जहाँ बच्चों के लिये हाथ धोने की सुविधा है । जबकि 6 प्रतशित स्कूलों में ये सुविधा नहीं है। लेकिन इन सबसे बड़ी समस्या बिजली की है राज्य के 16 प्रतिशत स्कूलों में बिजली का कनेक्शन नहीं है।
देश में लगभग पिछले एक दशक से सरकार द्वारा स्कूलों में डिजिटललाइजेशन पर लगातार जोर दिया जा रहा है । उत्तराखंड के सिर्फ 16.67% स्कूलों में ही इंटरनेट कनेक्टिविटी है यानी प्रदेश के 19000 हजार स्कूलों में अभी तक इंटरनेट कि सुविधा पहुँच नही पाई है । राष्ट्रीय स्तर पर (UDISE) की 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के 15 लाख स्कूलों में से महज 5.5 लाख स्कूलों (37%) के पास कंप्यूटर हैं और 3.3 लाख (22%) के पास इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। बड़े राज्यों में (जिनमें 15,000 से अधिक स्कूल हैं), केरल और गुजरात का प्रदर्शन सबसे अच्छा है।
हालांकि शिक्षाविदों का मानना है कि उत्तराखंड का एक पहाड़ी राज्य के चलते दूसरे सभी राज्यों से बेहतर प्रदर्शन है। राज्य के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी कहते है उत्तराखंड के स्कूल कई मानकों में दूसरे राज्यों के स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन किया है। और इस स्थिति को जारी रखते हुए शिक्षा के बुनियादी ढांचे को और बेहतर करने के लिये लगातार काम किया जा रहा है
वही नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में उत्तराखंड टॉप 5 राज्य में शामिल है। उत्तराखंड, केरल, हिमाचल, गोवा के बाद चौथे स्थान पर काबिज है । केरल 100 में से 80 अंक पाकर पहले स्थान पर है जबकि 74 अंकों के साथ हिमाचल दूसरे और 71 अंकों के साथ गोवा तीसरे और 70 अंको के साथ उत्तराखंड चौथे स्थान पर है।
कक्षा 11 और 12 के लिये जीईआर यानी सकल नामांकन अनुपात ( Gross Enrolment Ratio) पर राज्य ने अच्छा प्रदर्शन किया है जो लागभग 69.3% के करीब है। यानी राष्ट्रीय औसत 51.4% से भी अधिक है। उच्च माध्यमिक कक्षाओं ( higher secondary clases) में जीईआर लड़कियों का लड़को की तुलना में बेहतर पाया गया है ।
इसके साथ ही, छात्र शिक्षक अनुपात(Pupil-Teacher Ratio) में उत्तराखंड का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से काफी अच्छा है। यह प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक सभी स्तरों पर तकरीबन 13.8- 18.5 की सीमा में पाया गया है। जबकि पीटीआर का राष्ट्रीय औसत 18.5- 26.5 की सीमा में था । यानी प्रति शिक्षक 18.5 छात्र है । कम पीटीआर शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता को दर्शाता है कुल मिलाकर यह कहा जाये कि सरकार की शिक्षा और स्वछता के मामले स्थिति औसत रही है ।