एनबीटीः ऐसे दौर में जबकि प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिन्ग और दूसरी समस्याएं हमारे लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में एक इन्वाइरन्मंट हेल्थ क्लिनिक खोला गया है। इस क्लिनिक में आप अपने आसपास और पर्यावरण से जुड़ी किसी भी समस्या पर बात कर सकते हैं और उसके लिए समाधान भी मांग सकते हैं। और तो और आपको मिलने वाले सुझाव भी उसी तर्ज और उतने ही अहम होंगे, जितने कि डॉक्टर से मिली दवा।
इस क्लिनिक को चला रहीं डॉ. नताली जेरेमिजेनको एक ऑस्टेलियन आर्टिस्ट होने के अलावा डिज़ाइनर और इंजीनियर भी हैं। एक आम डॉक्टर की तरह वे भी एक सफेद लैब कोट पहने और रेडक्रॉस का चिह्न लगाए क्लिनिक में आने वाले विज़िटरों की परेशानी सुनती हैं। क्लिनिक के कंसल्टेशन डेस्क जो कि बांस का बना हुआ है, के ठीक सामने इलाज़ का पूरा सामान भरा पड़ा है। पर यहां गोलियों और इंजेक्शन की जगह पावर टूल हैं। इस क्लिनिक में डॉ. जेरेमिजेनको पर्यावरण मसलन हवा और पानी की क्वॉलिटी से जुड़ी लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं पर उनसे चर्चा करती हैं। कंसल्टेशन डेस्क पर बैठकर वे लोगों को उनकी समस्या के मुताबिक एक डॉक्टर की तरह इलाज़ की दवा देती हैं। यानी कहां क्या और कैसे बदलाव करने हैं, यहां लोगों को उसकी सलाह मिलती है। 41 साल की जेरेमिजेनको के पास इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री भी है।
इस क्लिनिक में आकर विज़िटर भूमि प्रदूषण, घर के भीतर की अशुद्ध हवा और गंदे आंधी-पानी के बारे में बात करते हैं। डॉ. जेरेमिजेनको उन्हें स्थानीय पर्यावरणीय मसलों पर एक बुकलेट देती हैं। इसमें खासकर उन प्रमुख प्रदूषकों का जिक्र होता है, जो आस-पड़ोस को दूषित करते हैं। इसके बाद वह इलाज़ के तौर पर जो देती है उसमें ग्रीन डिज़ाइन का एकलेक्टिक मिक्स, इंजीनियरिंग और आर्ट शामिल होती है। विंडो ट्रीटमंट में सनफ्लॉवर या टेडपोल हो सकते हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में इन्वाइरन्मंट मेडिसिन के प्रोफेसर जॉर्ज थर्सटन के मुताबिक लोग अपने अपार्टमंट और पड़ोस की पर्यावरणीय समस्याओं से जूझने में नाकाम रहकर हताश हो चुके हैं। ऐसे में यह क्लिनिक उनके लिए आशा की किरण है।
क्लिनिक में उपचार का तरीका भी अलग है। मसलन, एक शख्स जिसकी जमीन में लेड की मात्रा पाई गई, उसे डॉ. जेरेमिजेनको ने जमीन पर केमिकल एजंट ईडीटीए के साथ सनफ्लॉवर के पौधे उगाने की सलाह दी। ऐसा कर जमीन से लेड को कम किया जा सका। इसी तरह घर के भीतर फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और टोलुइन जैसे प्रदूषकों को कम करने के लिए वे घर के भीतर हाउस प्लांट्स रखने का सुझाव देती हैं।
ये पौधे कुछ केमिकल्स को सोख लेते हैं। इसी तरह डॉ. जेरेमिजेनको कहती हैं कि टेडपोल का पानी की क्वॉलिटी मापने वाले सेंसर के रूप में बढ़िया इस्तेमाल हो सकता है।
साभार -
इस क्लिनिक को चला रहीं डॉ. नताली जेरेमिजेनको एक ऑस्टेलियन आर्टिस्ट होने के अलावा डिज़ाइनर और इंजीनियर भी हैं। एक आम डॉक्टर की तरह वे भी एक सफेद लैब कोट पहने और रेडक्रॉस का चिह्न लगाए क्लिनिक में आने वाले विज़िटरों की परेशानी सुनती हैं। क्लिनिक के कंसल्टेशन डेस्क जो कि बांस का बना हुआ है, के ठीक सामने इलाज़ का पूरा सामान भरा पड़ा है। पर यहां गोलियों और इंजेक्शन की जगह पावर टूल हैं। इस क्लिनिक में डॉ. जेरेमिजेनको पर्यावरण मसलन हवा और पानी की क्वॉलिटी से जुड़ी लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं पर उनसे चर्चा करती हैं। कंसल्टेशन डेस्क पर बैठकर वे लोगों को उनकी समस्या के मुताबिक एक डॉक्टर की तरह इलाज़ की दवा देती हैं। यानी कहां क्या और कैसे बदलाव करने हैं, यहां लोगों को उसकी सलाह मिलती है। 41 साल की जेरेमिजेनको के पास इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री भी है।
इस क्लिनिक में आकर विज़िटर भूमि प्रदूषण, घर के भीतर की अशुद्ध हवा और गंदे आंधी-पानी के बारे में बात करते हैं। डॉ. जेरेमिजेनको उन्हें स्थानीय पर्यावरणीय मसलों पर एक बुकलेट देती हैं। इसमें खासकर उन प्रमुख प्रदूषकों का जिक्र होता है, जो आस-पड़ोस को दूषित करते हैं। इसके बाद वह इलाज़ के तौर पर जो देती है उसमें ग्रीन डिज़ाइन का एकलेक्टिक मिक्स, इंजीनियरिंग और आर्ट शामिल होती है। विंडो ट्रीटमंट में सनफ्लॉवर या टेडपोल हो सकते हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में इन्वाइरन्मंट मेडिसिन के प्रोफेसर जॉर्ज थर्सटन के मुताबिक लोग अपने अपार्टमंट और पड़ोस की पर्यावरणीय समस्याओं से जूझने में नाकाम रहकर हताश हो चुके हैं। ऐसे में यह क्लिनिक उनके लिए आशा की किरण है।
क्लिनिक में उपचार का तरीका भी अलग है। मसलन, एक शख्स जिसकी जमीन में लेड की मात्रा पाई गई, उसे डॉ. जेरेमिजेनको ने जमीन पर केमिकल एजंट ईडीटीए के साथ सनफ्लॉवर के पौधे उगाने की सलाह दी। ऐसा कर जमीन से लेड को कम किया जा सका। इसी तरह घर के भीतर फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और टोलुइन जैसे प्रदूषकों को कम करने के लिए वे घर के भीतर हाउस प्लांट्स रखने का सुझाव देती हैं।
ये पौधे कुछ केमिकल्स को सोख लेते हैं। इसी तरह डॉ. जेरेमिजेनको कहती हैं कि टेडपोल का पानी की क्वॉलिटी मापने वाले सेंसर के रूप में बढ़िया इस्तेमाल हो सकता है।
साभार -
16 Aug 2008, नवभारत टाइम्स