कोई पूर्वाभ्यास नहीं

Submitted by Hindi on Mon, 05/02/2011 - 10:45
पानी कोई पूर्वाभ्यास नहीं करता
और मंच पर प्रकट हो जाता है सीधे
फिर भी इतनी अभिनय कुशलता-
इतना सुन्दर खेला
कि भीतर का पानी हँस-हँस कर
हो जाता है लहालोट

मंच पर नाट्य पारंगत
और मंच परे की भी उसकी भूमिका सुदक्ष
एक ओर पात्र को इतनी संजीदगी से
वहीं दूसरी ओर पूरी निर्लिप्तता के साथ
जीकर बताना
यह है पानी के ही बूते की बात

कोई पूर्वाभ्यास नहीं
फिर भी अभिनय में इतनी तल्लीनता
कि पानी न कोई संवाद भूलता है
न बिसराता है कोई मुद्रा या भाव
और जरा भी कमतर नहीं होने देता है
प्यास बुझाने का अपना गुन

यह चमत्कार नहीं तो और क्या है
कि दिनमान एक बूँद में पानी
उतार लेता है सारे रंग
उनकी पूरी रंगत के साथ
जिसे देखकर सृष्टि की समूची रंगशालाएँ
तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठती हैं

कोई पूर्वाभ्यास नहीं
लेकिन पानी मजा हुआ कलाकार है
पात्र के अनुसार रूप धरने के
हासिल हैं उसे बहुतेरे हुनर!