लंबे समय से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुन्देलखण्ड के कई जिले सूखाग्रस्त की मार झेल रहे थे। कई सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने इस समस्या का निवारण नही किया । अब भारत सरकार के निर्णय से इन जिलों में पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म होने जा रही है। दरअसल, वर्षों से लंबित केन- बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी मिल गई है । जिससे पूरे क्षेत्र की पानी की समस्या दूर हो जायेगी। यह परियोजना खेती और पीने के पानी की कमी दूर करने के अलावा लोगों के पलायान रोकने में मददगार साबित होगी।बुंदेलखंड के लिए पानी की कमी हमेशा से एक प्रमुख समस्या रही है।जिसका प्रभाव कई हद तक फसलों की उपज पर भी पड़ता है । पानी की किल्लत से आम लोगों को तो आये दिन पानी की समस्या का समाना करना पड़ता है साथ ही मवेशीयों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है ।
नदी जोड़ योजना का हिस्सा है केन बेतवा लिंक परियोजना
केन बेतवा लिंक परियोजना की नींव 1998 में बनी एनडीए की सरकार ने रखी थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे देश से सूखे को खत्म करने के लिए सभी नदियों को जोड़ने का सपना देखा था। ताकि नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकेगा, जहां अकसर सूखा पड़ता है और जिन इलाकों में पानी की भारी कमी है, वहां इस योजना के शुरू हो जाने के बाद पानी की किल्लत नहीं रहेगी। लेकिन पिछले 15 सालों में सरकारों के ढुलमुल रवैये से इस और कोई कार्य नहीं हुआ जिसके कारण ये परियोजना अधर में लटक गई। लेकिन जब राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है तो इस परियोजना को आगे बढ़ाने की उम्मीद बढ़ी, और ठीक उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रद्यानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लगभग 45 हज़ार करोड़ की लागत वाली केन- बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी दे दी ।
केंद्र सरकार करेगी 90 फीसदी खर्च
इस परियोजना में 44605 करोड़ का खर्चा आएगा जिसमें 90 फीसदी केंद्र सरकार और 5-5 फीसदी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश सरकार व्यय करेंगी। यानी केंद्र इस परियोजना में कुल 39317 खर्च करेगा। जबकि दोनों राज्य सरकारों को 5288 करोड़ खर्च करना पड़ेगा। साथ ही इस परियोजना की तय समय सीमा 8 वर्ष रखी गई है। इस योजना के अनुसार 30 नहरों के साथ ही 3000 जलाशयों और 34,000 मेगावाट क्षमता वाली विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कराया जाना है। इसके अतिरिक्त इसके पूरा होने पर 87 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना नदी जोड़ो योजना की ही पहली कड़ी है।
किसानों को होगा फायदा
इस प्रोजेक्ट को पूरा होने पर मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिले के 3.96 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा और झाँसी जिले के 2.65 लाख हेक्टेयर हिस्से पर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध हो सकेगी। ये सभी जिले बुन्देलखण्ड क्षेत्र के हैं जो सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अन्तर्गत केन नदी का अतिरिक्त पानी 230 किलोमीटर लम्बी नहर के माध्यम से बेतवा नदी में डाला जाना है
केन्द्र ने की मध्यस्थता
इस परियोजना को धरातल पर लाने के लिये इससे जुड़े राज्यों, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच 2005 में ही समझौता हुआ था लेकिन विभिन्न अड़चनों के कारण इसे अब तक नहीं शुरू किया जा सका । जिनमें पन्ना टाइगर रिजर्व, पर्यावरण मंजूरी, पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान से जुड़े मुद्दे, राज्यों के बीच विवाद, फसलों के वर्तमान पैटर्न पर पड़ने वाला प्रभाव आदि शामिल हैं। विवाद की मुख्य वजह मध्य प्रदेश द्वारा योजना के दोनों फेजों को एक साथ जोड़े जाने की माँग और उत्तर प्रदेश द्वारा गैर वर्षा काल यानि खरीफ की फसल के लिये अधिक जल की माँग थी। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच नदियों को जोड़ने के लिये हुए पुराने समझौते के मुताबिक मध्य प्रदेश को 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) और उत्तर प्रदेश को 1700 एमसीएम पानी दिया जाना था।
लेकिन उत्तर प्रदेश, खरीफ फसल के लिये 935 एमसीएम अतिरिक्त पानी माँग रहा था जिसे मध्य प्रदेश की सरकार मानने से इनकार कर रही थी। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश को इसके लिये 750 एमसीएम से ज्यादा पानी नहीं देना चाह रहा था । परन्तु केन्द्र सरकार की मध्यस्थता के बाद विषय पर भी दोनों राज्यों में सहमति बन गई ।इसके अलावा पानी के बँटवारे सम्बन्धी इस विवाद के बाद मध्य प्रदेश की सरकार ने केन्द्र से इस परियोजना के दोनों फेजों को एक साथ जोड़ देने की माँग की थी। मध्य प्रदेश सरकार की माँग थी कि कोथा बैराज, लोअर ओर्र और बीना कॉम्प्लेक्स जैसी द्वितीय फेज की स्थानीय परियोजनाओं को पहले फेज में ही जोड़ दिया जाये। जिसे केंद्र ने मान लिया है और लंबे अरसे से अधर में लटकी ये परियोजना पूरी होने जा रही है ।