खेती करै साँझ घर सोवै

Submitted by Hindi on Mon, 03/22/2010 - 09:27
Author
घाघ और भड्डरी

खेती करै साँझ घर सोवै।
काटै चोर हाथ धरि रोवै।।


भावार्थ- जो किसान खेती करता है और सायंकाल ही घर में सो जाता है। तो उसकी फसल को रखवारी के अभाव में चोर काट ले जाते हैं, फिर उसे हाथ पर हाथ रख कर रोना ही पड़ता है।