खेती, पाती, बीनती,

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 09:06
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घाघ और भड्डरी

खेती, पाती, बीनती, औ घोड़े की तंग।
अपने हात सँवरिये, लाख लोग होय संग।।


भावार्थ- खेती, पत्र लेखन, प्रार्थना, घोड़े की जीन कसना, इन सब कार्यों को स्वयं करना चाहिए, चाहे जितने विश्वासी व्यक्ति आपके साथ हों लेकिन इन कार्यों के लिए उन पर निर्भर न हों। ऐसा करने पर खेती बिगड़ सकती है, पत्र प्रचारित हो सकता है, प्रार्थना का प्रभाव कम हो सकता है और घोड़े की जीन यदि ढीली हो सकती है जो घातक सिद्ध होगी।