हिसार चंडीगढ़ रोड पर सूरेवाला मोड़ के नज़दीक वाकिंग डिस्टेंस पर बोर्ड दिखाई दे जाता है वी.डी. फ़ार्म फ्रेश और वी.डी. ओर्गानिक्स और यहाँ आपको मिल जायेंगे किसान कपिल भाटिया जी, जो कहते हैं कि मैं अपना फ़ार्म कभी भी छोड़ कर जब तक बहुत ही ज्यादा जरूरी ना हो कहीं नही जाता हूँ | मेरी दादी जी का नाम श्रीमती बिशन देवी था और मेरा उनसे बड़ा लगाव था मैंने 37 वर्ष की उम्र में जब खेती करनी शुरू की तो मैंने अपनी दादी जी के नाम से फ़ार्म का नाम रखा | मैंने अपने गाँव प्रभुवाला में खेती की शुरुआत करने से पहले प्राइवेट नौकरियां, अपना बिजनेस आदि सबकुछ करके देखा लेकिन मुझे कभी सुकून नही मिला फिर जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि मैंने बैठ कर सोचा तो महसूस किया कि नौकरी और बिजनेस से मैंने प्रबंधन के जो गुर सीखे हैं उन्हें यदि में अपने खेत में लागू कर दूं तो कुछ चमत्कार किया जा सकता है
मैंने अपना पूरा समय खेत को देना शुरू किया तो मुझे महसूस हुआ कि यहाँ तो काम ही काम पेंडिंग पड़ा हुआ है हरेक स्टेप पर जो खर्चा हमारे सर बंधा हुआ है उसे हम युक्ति पूर्ण तरीके से न्यूट्रल करके उसे आमदनी के सोर्स के रूप में बदल सकते हैं |
हमारे पास पशुओं का गोबर डालने की व्यवस्था अच्छी नही थी उसके लिए हमें बहुत दुखी होना पड़ता था मैंने गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाना शुरू किया और अपने खेत में प्रयोग किया तो नतीजे बेहतरीन निकले फिर हमारे खेत का पूरा पाड़ने के बाद जो वर्मी कम्पोस्ट बच गया उसे बेचने के लिए मैंने ऑनलाइन बाज़ार का रुख किया और अमेजन डॉट कॉम पर अपनी फर्म बना कर रजिस्टर्ड की और अपना खेत का बनाया हुआ वर्मी कम्पोस्ट ऑनलाइन बेचना शुरू किया
बिना मिलावट का शुद्ध वर्मी कम्पोस्ट था तो मुझे बेहतरीन रिव्यु मिलने शुरू हुए और मेरा कारोबार और अधिक चमका मैंने खर्चे को आमदन में बदल लिया है फिर उसके बाद मैंने फलों सब्जियों की खेती में हाथ आजमाया और यहाँ भी मंडी के चक्कर काटने की बजाए खुद अपना रिटेल स्टोर खोला जो अब धीरे धीरे चलता चलता अच्छा चल चुका है |
हिसार चंडीगढ़ राजमार्ग पर मेरा रिटेल आउटलेट होने की वजह से आते जाते हुए काफी ग्राहक निरंतर रूप से मेरे फ़ार्म के ताजे फल सब्जियां लेकर जाते हैं | मैं अपनी खेती और खुद के रिटेल से बेहद संतुष्ट हूँ और खुश हूँ | मेरी जमीन भट्ठे की जमीन है यहॉं पानी-बिजली की सुविधा भी पर्याप्त नहीं है और जब मैंने काम शुरू किया था तो इस जमीन में कपास और बाजरा भी नहीं उगता था लेकिन आज धीरे धीरे सुधार करते करते मैं अपनी खेती को इस स्तर पर ले आया हूँ कि बीस खेती मजदूरों के परिवार मेरे खेत से ही अपना ठीक ठाक गुजारा कर रहे हैं मेरे खेतों पर साल भर का काम रहता है उनको काम के लिए कहीं नही भटकना पड़ता और मेरे काम की प्लानिंग ठीक होती है जिसकी वजह से मजदूरों का समय और मेहनत भी बर्बाद नही होता है
पिछले पांच सालों में मैंने अपने जनसम्पर्क से अच्छी खासी पहचान बना ली है और मुझे मेरी फसल के एडवांस ऑर्डर भी मिलने शुरू हो गये हैं जिससे मेरी पूरी टीम के हौसले एक दम टाइट हैं | आज सरकार किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात कर रही है लेकिन मेरा अनुभव यह कहता है कि किसान सरकारों के पीछे भागना छोड़ कर अपने आप को खेत में केन्द्रित कर ले और अपने आस पास मौजूद बाज़ार में अकेला या संयुक्त रूप से घुसने का प्रयास करे तो उसकी आमदनी तिगनी चौगुन्नी तक हो सकती है |
किसान को हर रोज कैश कमाने की आदत डालनी चाहिए तभी वो अपने फ़ार्म को आर्थिक रूप से सबल बना पायेगा और मैं अपने अनुभव से आज यह कह सकता हूँ कि खेती से बेहतरीन कोई धंधा नही है यह रोजगार होने के साथ साथ एक जीवन शैली भी है |
अपनी खेती को समय दीजिये फिर देखिये धन मान सम्मान और पहचान की कोई कमी नहीं रहेगी |
जो किसान भाई कपिल भाटिया जी से बात करना चाहें तो वे 9896560005 नम्बर पर बात कर सकते है |