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10 जून 2007/ हिन्दुस्तान दैनिक
जमीन के नीचे का पानी भी अब सुरक्षित नहीं रहा। लखनऊ के भूजल में आर्सेनिक जैसे घातक रसायन मिलने की पुष्टि हुई है। जल संस्थान के 14 ट्यूबलों से लिए गए पानी के नमूनों में से सात में आर्सेनिक पाया गया है। मानकनगर व आशियाना समेत शहर के कई इलाकों के भू-जल में यह जहर मिला है। हालाँकि निरालानगर सबसे अधिक प्रभावित है। विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए पानी के 24 नमूनों में 0.020-0.030 मिलीग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक पाया गया। यह मात्रा सामान्य से लगभग तीन गुना ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल विभाग ने राजधानी के पानी के नमूने नवम्बर 2007 में लिए थे। जांच में एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड, विजय नगर, बेहसा बाग, सुजानपुरा व ट्रांसपोर्ट नगर के पानी में भी आर्सेनिक की बढ़ी मात्रा मिली। निरालानगर व विजय नगर को संवेदनशील घोषित किया गया है। भू-जल विभाग ने लखनऊ समेत कई शहरों के भू-जल की गुणवत्ता रिपोर्ट केन्द्रीय भूजल बोर्ड को सौंप दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लखनऊ के पानी में आर्सेनिक से बने यौगिक जैसे-आर्सेनिक ट्राइमेथाइल आर्सेनेट, आर्सेनिक एसिड व ऑक्सीथायो आर्सेनिक एसिड मिल रहे हैं।
इस समूह के यौगिक उन्नाव के भू-जल में भी मिले हैं। वैसे पीजीआई के इम्यूनोलॉजी विभाग में कई मरीजों में आर्सेनिक की विषाक्तता मिली है। विभागाध्यक्ष प्रो. आरएन मिश्रा के मुताबिक मरीजों के रक्त के नमूने परीक्षण के लिए सीडीआरआई भेजे गए हैं।आर्सेनिक की मात्रा पर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बारिश का पानी रिचार्ज न किया गया तो शहर में हालात बेहद खराब हो जाएँगे क्योंकि कुछ इलाकों में आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा भू-जल में तेजी से बढ़ रही है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति भू-जल स्तर के अत्यधिक गिरने से पैदा हुई है।
उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल विभाग ने राजधानी के पानी के नमूने नवम्बर 2007 में लिए थे। जांच में एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड, विजय नगर, बेहसा बाग, सुजानपुरा व ट्रांसपोर्ट नगर के पानी में भी आर्सेनिक की बढ़ी मात्रा मिली। निरालानगर व विजय नगर को संवेदनशील घोषित किया गया है। भू-जल विभाग ने लखनऊ समेत कई शहरों के भू-जल की गुणवत्ता रिपोर्ट केन्द्रीय भूजल बोर्ड को सौंप दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लखनऊ के पानी में आर्सेनिक से बने यौगिक जैसे-आर्सेनिक ट्राइमेथाइल आर्सेनेट, आर्सेनिक एसिड व ऑक्सीथायो आर्सेनिक एसिड मिल रहे हैं।
इस समूह के यौगिक उन्नाव के भू-जल में भी मिले हैं। वैसे पीजीआई के इम्यूनोलॉजी विभाग में कई मरीजों में आर्सेनिक की विषाक्तता मिली है। विभागाध्यक्ष प्रो. आरएन मिश्रा के मुताबिक मरीजों के रक्त के नमूने परीक्षण के लिए सीडीआरआई भेजे गए हैं।आर्सेनिक की मात्रा पर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बारिश का पानी रिचार्ज न किया गया तो शहर में हालात बेहद खराब हो जाएँगे क्योंकि कुछ इलाकों में आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा भू-जल में तेजी से बढ़ रही है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति भू-जल स्तर के अत्यधिक गिरने से पैदा हुई है।