लोगों ने दिखाई राह

Submitted by Hindi on Thu, 12/31/2009 - 19:44

सन् 2001 में फिर तीसरे साल गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्य सूखे के प्रकोप में थे, लेकिन दाहोद आधारित एक गैर सरकारी संगठन `एन एम सदगुरु वाटर एण्ड डेवलपमेंट फाउंडेशन´(सदगुरु) बड़ी सूझबूझ से सूखा राहत कार्यक्रम चलाने में जुटा था। उन्होंने सामुदायिक जुड़ाव से अपने समेकित दृष्टिकोण का काफी बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया।
 

क्रम संख्या

गतिविधि

लक्ष्य (संख्या)

उपलब्धियां

(संख्या)

1.

बंधा बांधों के निचले हिस्से के नदी तट पर कुओं का निर्माण करना

05

05

2.

तालाबों/बंधा बांधों से गाद साफ करना

10

09

3.

कुओं को गहरा करना

3,000

3,490

4.

पुराने हैंड पम्पों की मरम्मत करना

750

788

5.

नए हैंड पम्प लगाना

50

52

6.

कुओं का पुनर्भरण

500

528

7.

मिट्टी संरक्षण के काम (हेक्टेयर में)

405

409

8.

रोजगार अर्जन (व्यक्तियों में)

4,000

5,235

नोट: लिफ्ट सिंचाई, बंधा बांध, वृक्षारोपण का काम पूरे चार महीने चला। सन् 2001 की गर्मियों में इस क्षेत्र में सूखे ने विकराल रूप धारण कर लिया, क्योंकि सन् 2000 के वर्षा ऋतु में भी सूखा प्रभावित क्षेत्रों में छिटपुट बारिश ही हुई थी और इस दौरान जल धाराओं में काफी कम मात्रा में पानी रोका जा सका। कम बारिश होने के कारण, इन क्षेत्रों में अक्टूबर महीने में ही सूखे की समस्या उठने लगी, जबकि सामान्य वर्षों में यह समस्या मार्च महीने से बननी शुरु होती है। `फाउंडेशन´ ने इस स्थिति की समीक्षा करने तथा दीर्घकालिक सूखा राहत उपायों की योजना बनाने के लिए स्थानीय संगठनों के साथ एक बैठक की। इसके लिए कई कदम उठाए गए। इसके लिए वर्तमान जरूरतों का आकलन करने, प्रस्तावित गतिविधियां चलाने, सामुदायिक सहभागिता बनाने, इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के तौर- तरीकों को तलाशने और इसकी निगरानी, समीक्षा व प्रलेखन करने के उपाय किए गए।

`सदगुरु´ का दृढ़ता से यह मानना है कि इन प्रयासों का दीर्घकालिक प्रभाव बनाने के लिए जल, जमीन और जंगल संसाधनों को भी साथ-साथ विकसित करना होगा। यही कारण है कि `फाउंडेशन´ के इसी दृष्टिकोण से परियोजना के सभी गांवों में सूखा पड़ने के बावजूद पिछले साल का काफी अनाज और चारा बचा हुआ था। इनके पास बाजार से भी इसकी खरीददारी करने के लिए पर्याप्त पैसा जमा था।

गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 785 गांवों में सूखा राहत का काम चलाया गया। इस काम के सहयोगियों और `सदगुरू´ के बीच लम्बी चर्चा के बाद प्राकृतिक पुनर्जनन संबंधी विभिन्न गतिविधियों के बारे में निर्णय लिए गए (तालिका 1 भौतिक उपल्बधियां देखें)। आनंदी, प्रोग्रेस, प्राक्रुति फाउंडेशन, प्रयास और उत्थान नामक संगठनों के साथ मिले-जुले सहयोग से कुल 3,340 कुओं को और गहरा किया गया। कुल खोदे गए कुओं में से 72 प्रतिशत कुएं पक्के कर दिए गए हैं।

कुएं गहरे करने की गतिविधि चलाने के 15 दिन पहले ही कुएं के वर्तमान जल स्तर की एक समीक्षा कराई गई थी। यह संकट की घड़ी थी, जैसाकि इसमें 64 प्रतिशत कुएं ऐसे थे, जिनमें 0.3 मीटर से भी कम पानी मौजूद थे।

खोदे गए कुओं का काफी जबर्दस्त प्रभाव पड़ा। कुल 4.12 लाख लोगों और 1.37 लाख पशुओं को इसका फायदा पहुंचा। सूखा राहत कार्य के तहत कुएं गहरा करने के अलावा नए कुएं भी खोदे गए। पानी तक सीधी पहुंच बनाने के लिए नदी तट पर कुएं खोदे गए और बंधा बनाए गए। इन कुओं के निर्माण से 250 परिवारों और 5,000 पशुओं को इसका लाभ हुआ।

सूखा राहत कार्य के तहत अन्य गतिविधियों को जोड़े जाने से कई और फायदे भी हुए। इससे लोगों को पानी उपलब्ध होने के साथ-साथ रोजगार भी मिलने लगा। इससे पलायन का सिलसिला रुका।

सूखा राहत कार्यक्रम में कुल 109 लाख रुपए खर्च हुए। इसमें व्यक्तिगत क्षमता के हिसाब से सामुदायिक और व्यक्तिगत किसानों का सहयोग भी लिया गया है। कुआं गहरा करने, कुओं का पुनर्भरण करने जैसे व्यक्तिगत कार्यक्रमों में किसानों ने दिल खोलकर नकद और चीजों के रूप में अपना योगदान दिया,और इन कुओं से सारा मलवा साफ किया। भू संरक्षण के काम के लिए किसानों ने तीस प्रतिशत का योगदान दिया।
 

तालिकाः 2.2 340 कुओं की पानी स्तर

कुआं गहरा करने से पहले कुओं के पानी का स्तर कुओं का प्रतिशत0.3 मीटर से कम भूजल का स्तर 640.3-0.6 मीटर के बीच भूजल का स्तर 244 मीटर से अधिक भूजल का स्तर 12 इस प्रकार यह फाउंडेशन थोड़े ही समय में न केवल संगठनों, सहकारिताओं और महासंघों का ही सहयोग पाने लगा, बल्कि इसने इन सभी लोगों को क्रियान्वयन की प्रक्रिया के साथ भी जोड़ा। इस संगठन द्वारा व्यापक दृष्टिकोण अपनाए जाने से गांव वालों की रोजी- रोटी की चिंताएं सामूहिक रूप से संबोधित हुईं। उन्होंने वास्तव में यह सिद्ध कर दिया है कि परिस्थितियों में सुधार लाने में आखिर लोगों की ही ताकत काम आती है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : हरनाथ जगावत एनएम सद्गुरू वाटर एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन, पीओ बॉक्स- 71 दाहोद 398151 गुजरात फोन : 0091- 2673- 38601 / 2 ई-मेल: omsadguru@yahoo.com