मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में अनेक स्थलों का भूजल स्तर 400 फीट तक नीचे सरक गया है, जिससे यहां पानी का घोर संकट छा गया है। ऐसी स्थिति में इंदौर में मंत्री के पद से सेवानिवृत्त जीटी भिमटे समेत अन्य अनेक लोग बोरी बंधा के जरिए भूजल पुनर्भरण के प्रयास में जुट गए हैं।
भिमटे ने सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के भूतपूर्व अध्यक्ष ओपी गोयल के सहयोग से सन् 2002 में 24 गांवों में बोरी बंधा का काम पूरा किया। चार गांवों को छोड़कर बाकी सभी गांवों से इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इस काम के प्रति गांववालों में उत्साह जगाने के लिए उन्हें नि:शुल्क खाली बोरियां उपलब्ध कराई गईं।
भिमटे ने मंत्री के पद पर रहते हुए भी इस कार्य को अंजाम दिया था। सर्वप्रथम उन्होंने सलैया स्टाप डैम में बोरी बंधा बनाया। इसके बाद उन्होंने इस कार्य को गोल, दौलतपुर, इनायतपुर और हिनोतिया गांवों में अंजाम दिया, जहां केरवां नदी पर दो बोरी बंधा बनाए गए और दो कालिया सोत नदी पर। सलैया और हिनोतिया के ग्रामवासी पिछले 9 सालों से इन कार्यों का लाभ उठा रहे हैं।
अभी पिछले साल इंदौर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरसोला गांव में युवाओं के सहयोग से चार बोरी बंधा बनाने का काम पूरा हुआ। यहां के गांव वालों को अभी से इसके लाभ मिलने लगे हैं। इसकी सफलता को देखते हुए इस वर्ष गांव में 14 नए बंधा बनाए गए हैं। इस प्रकार इस गांव में बंधाओं का जाल सा बिछ गया है। भिमटे का दावा है कि, “आगे इस गांव में पानी का कोई संकट नहीं खड़ा होगा, गांव हरित क्षेत्र में परिवर्तित हो जाएगा, कृषि उत्पादन भी काफी बढ़ जाएगा और जिन कुंओं तथा ट्यूबवेलों में पानी नहीं आता था, उनमें पानी आने लगेगा।“
इस प्रयास में इंदौर से 15 किमी दूर धार रोड पर स्थित ग्राम कलारिया के सरपंच श्री सुरेश पटेल और नदम हुसैन के सहयोग से 5 बोरी बंधा बनाए गए। इसी प्रकार ग्राम बिसनोद में गांववालों के सहयोग से 4 बोरी बंधा बनकर तैयार हैं। इसके भी काफी उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। तो फिर ऐसा सब कुछ कैसे करें और क्या सावधानी बरतें? इस संबंध में भीमटे के अनुभव इस प्रकार से है: भूजल ऊपर उठाने में यह तकनीकी काफी आसान होती है, जिस पर कोई ज्यादा खर्च भी नहीं आता है।
नालों पर बोरी बंधा का काम पूरी विधि से करना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम बोरियों में 90 प्रतिशत तक काली मिट्टी भरकर इसे व्यवस्थित ढंग से सिल देना चाहिए। फिर इन्हें नालों में 3 फीट की ऊंचाई तक लम्बवत जमाना चाहिए।
अगर बोरी बंधा के पिछले भाग में सहारा देने के लिए पत्थरों को जमा दिया जाए तो ऐसे कार्यों से कई सालों तक लाभ मिलता रहेगा।
कभी-कभी अधिक बारिश होने पर कुछ बोरियां गिर जाती हैं। अत: ऐसे में ज्यों ही नालों में पानी का बहाव कम हो, इन बोरियों को फिर से जमा दिया जाना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : श्री जी टी भिमटे (सेवानिवृत्त) अधीक्षण मंत्री 105, रॉयल ब्लू अपार्टमेंट, स्कीम नम्बर 54, विजय नगर, इंदौर- 452010, मध्य प्रदेश, फोन : 0731- 5005136
भिमटे ने सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के भूतपूर्व अध्यक्ष ओपी गोयल के सहयोग से सन् 2002 में 24 गांवों में बोरी बंधा का काम पूरा किया। चार गांवों को छोड़कर बाकी सभी गांवों से इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इस काम के प्रति गांववालों में उत्साह जगाने के लिए उन्हें नि:शुल्क खाली बोरियां उपलब्ध कराई गईं।
भिमटे ने मंत्री के पद पर रहते हुए भी इस कार्य को अंजाम दिया था। सर्वप्रथम उन्होंने सलैया स्टाप डैम में बोरी बंधा बनाया। इसके बाद उन्होंने इस कार्य को गोल, दौलतपुर, इनायतपुर और हिनोतिया गांवों में अंजाम दिया, जहां केरवां नदी पर दो बोरी बंधा बनाए गए और दो कालिया सोत नदी पर। सलैया और हिनोतिया के ग्रामवासी पिछले 9 सालों से इन कार्यों का लाभ उठा रहे हैं।
अभी पिछले साल इंदौर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरसोला गांव में युवाओं के सहयोग से चार बोरी बंधा बनाने का काम पूरा हुआ। यहां के गांव वालों को अभी से इसके लाभ मिलने लगे हैं। इसकी सफलता को देखते हुए इस वर्ष गांव में 14 नए बंधा बनाए गए हैं। इस प्रकार इस गांव में बंधाओं का जाल सा बिछ गया है। भिमटे का दावा है कि, “आगे इस गांव में पानी का कोई संकट नहीं खड़ा होगा, गांव हरित क्षेत्र में परिवर्तित हो जाएगा, कृषि उत्पादन भी काफी बढ़ जाएगा और जिन कुंओं तथा ट्यूबवेलों में पानी नहीं आता था, उनमें पानी आने लगेगा।“
इस प्रयास में इंदौर से 15 किमी दूर धार रोड पर स्थित ग्राम कलारिया के सरपंच श्री सुरेश पटेल और नदम हुसैन के सहयोग से 5 बोरी बंधा बनाए गए। इसी प्रकार ग्राम बिसनोद में गांववालों के सहयोग से 4 बोरी बंधा बनकर तैयार हैं। इसके भी काफी उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। तो फिर ऐसा सब कुछ कैसे करें और क्या सावधानी बरतें? इस संबंध में भीमटे के अनुभव इस प्रकार से है: भूजल ऊपर उठाने में यह तकनीकी काफी आसान होती है, जिस पर कोई ज्यादा खर्च भी नहीं आता है।
नालों पर बोरी बंधा का काम पूरी विधि से करना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम बोरियों में 90 प्रतिशत तक काली मिट्टी भरकर इसे व्यवस्थित ढंग से सिल देना चाहिए। फिर इन्हें नालों में 3 फीट की ऊंचाई तक लम्बवत जमाना चाहिए।
अगर बोरी बंधा के पिछले भाग में सहारा देने के लिए पत्थरों को जमा दिया जाए तो ऐसे कार्यों से कई सालों तक लाभ मिलता रहेगा।
कभी-कभी अधिक बारिश होने पर कुछ बोरियां गिर जाती हैं। अत: ऐसे में ज्यों ही नालों में पानी का बहाव कम हो, इन बोरियों को फिर से जमा दिया जाना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : श्री जी टी भिमटे (सेवानिवृत्त) अधीक्षण मंत्री 105, रॉयल ब्लू अपार्टमेंट, स्कीम नम्बर 54, विजय नगर, इंदौर- 452010, मध्य प्रदेश, फोन : 0731- 5005136