माघ छठी गरजै नहीं

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 16:00
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घाघ और भड्डरी

माघ छठी गरजै नहीं, महँगो होय कपास।
सातें देखा निर्मली, तो नाहीं कछु आस।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल पक्ष की छठ को आसमान में बादल न गरजें तो कपास महँगा होगा लेकिन यदि सप्तमी को आकाश बिल्कुल स्वच्छ रहा तो कुछ भी होने की आशा नहीं है।