महासागरीय धारा (Ocean current)

Submitted by Hindi on Fri, 05/13/2011 - 12:09
एक नियत दिशा तथा मार्ग से होकर महासागरीय जल के प्रवाहित होने की गति। महासागरीय जल के मध्य से होकर धारा उसी प्रकार प्रवाहित होती है जैसे स्थलीय भागों में नदियां। किसी धारा के दोनों किनारों पर अपेक्षाकृत् स्थिर तथा भिन्न तापमान वाली जलराशियां होती हैं। समुद्री धाराएं उष्ण या गर्म (warm) अथवा शीतल या ठंडी (cold) दो प्रकार की होती हैं। उष्ण धारा वह होती है जिसके जल का तापमान उसके किनारे के सागरीय जल के तापमान से अधिक होता है। इसके विपरीत शीतल धारा में जल का तापमान किनारे के सागरीय जल के तापमान से कम होता है। सामान्यतः निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर उष्ण (गर्म) धाराएं और उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर शीतल धाराएं प्रवाहित होती हैं। गल्फस्ट्रीम, क्यूरोशिओं, ब्राजील धारा आदि उष्ण धाराएं हैं जबकि लैब्राडोर धारा, कनारी धारा, क्यूराइल धारा, पीरू धारा आदि शीतल धारा के उदाहरण हैं।

महासगारों में धाराओं की उत्पत्ति कई कारणों से होती है जिनमें पृथ्वी की घूर्णन गति, महासागरीय जल के तापमान, लवणता, घनत्व आदि में भिन्नता की उपस्थिति, वायुदाब एवं प्रचलित हवाएं, वर्षा की मात्रा एवं वाष्पीकरण में भिन्नता आदि प्रमुख हैं। धाराओं की प्रवाह दिशा तथा गति पर सागरीय तली के उच्चावच, तटरेखा का आकार एवं दिशा, मौसमी परिवर्तन, पृथ्वी के घूर्णन की दिशा आदि का भी उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी के अक्षीय घूर्णन (पश्चिम से पूर्व की ओर) के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में धाराएं अपनी दायीं ओर और गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड़ जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप उत्तरी एवं दक्षिणी अटलांटिक महासागर, उत्तरी एवं दक्षिणी प्रशांत महासागर तथा दक्षिणी हिन्दमहासागर में धाराओं का पूर्ण विकसित क्रम (चक्र) पाया जाता है। उत्तरी हिन्द महासागर में मानसून परिवर्तन के कारण धाराओं की दिशा ग्रीष्म तथा शीतकाल में एक दूसरे के विपरीत पायी जाती है।

प्रशांत महासागर की प्रमुख धाराएँ हैं- उत्तरी भूमध्यरेकीय धारा, दक्षिणी भूमध्यरेखीय धारा, प्रति भूमध्यरेखीय धारा, क्यूरोशियो धारा, क्यूराइल धारा, कैलिफोर्निया धारा, पीरू धारा, एलनिनो, पूर्वी आस्ट्रेलिया धारा तथा पछुंआ पवन प्रवाह। अटलांटिक महासागर की धाराओं में उत्तरी तथा दक्षिणी भूमध्यरेखीय धाराएं,प्रतिभूमध्यरेखीय धारा, गल्फस्ट्रीम, लैब्राडोर धारा, कनारी धारा, ब्राजील धारा, फाकलैंड धारा, दक्षिणी अटलांटिक धारा तथा बेंगुला धारा प्रमुख हैं। मानसून प्रवाह, भूमध्य रेखीय धारा, मोजाम्बिक एवं अगुलहास धारा तथा पछुंआ पवन प्रवाह हिन्दमहासागर की प्रमुख धारायें हैं।

महासागरीय धाराएं अनेक रूपों में जलवायु, मानव तथा जलीय जीवों, व्यापार आदि को प्रभावित करती हैं। धाराएं जिन तटों से होकर गुजरती हैं वहां के तापमान को प्रभावित करती हैं। उदाहरणार्थ गल्फस्ट्रीम (गर्म धारा) के प्रभाव से पश्चिम यूरोपीय तट पर सागरीय जल का तापमान बढ़ जाता है और शीत ऋतु में भी जल जमने नहीं पाता है तथा बंदरगाह खुले रहते हैं जबकि उन्हीं अक्षांशों में अन्यत्र सागर जम जाते हैं। जहाँ पर उष्ण एवं शीतल धाराएं मिलती हैं, वहाँ घना कुहरा उत्पन्न होता है जो समुद्री यातायात में बाधक होता है। शीतल धाराओं से प्रभावित तटों पर तापमान कम हो जाता है और कभी-कभी हिमपात भी होता है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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